Friday, March 14, 2025
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विवादों में जगनमोहन रेड्डी, 500 करोड़ के भव्य महल पर उठे सवाल

61 एकड़ में फैला यह आधुनिक किला सात आलीशान इमारतों से बना है। इसकी अनुमानित लागत ₹500 करोड़ से अधिक है। इतनी खुली फिजूलखर्ची के बावजूद, इसके निर्माण पर बनी चुप्पी इस बात को दर्शाती है कि राजनीतिक अभिजात्य वर्ग और सत्ता संरचनाओं के बीच कितना गहरा गठजोड़ है।

वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी (फाइल फोटो)

जगन मोहन रेड्डी का भव्य महल, जिसे एक पूरे पहाड़ को समतल कर बनाया गया, राजनीतिक विलासिता और सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग का एक स्पष्ट उदाहरण है। 61 एकड़ में फैला यह आधुनिक किला सात आलीशान इमारतों से बना है, जिसमें ऐसी भव्य सुविधाएँ शामिल हैं जिनके बारे में आम नागरिक केवल सपना ही देख सकते हैं। ₹500 करोड़ से अधिक की अनुमानित लागत और ₹15,293 प्रति वर्ग फुट के अत्यधिक निर्माण व्यय के साथ, इस निवास में इटालियन मार्बल फ्लोरिंग, 200 झूमर, 12 समुद्र-दृश्य शयनकक्ष और ₹25 लाख का बाथटब, ₹5 लाख के कमोड जैसे आयातित आइटम शामिल हैं। सेंट्रल एयर कंडीशनिंग से लेकर हाई-एंड फर्निशिंग तक, इस महल का हर कोना असीमित भव्यता की कहानी कहता है, जो एक ऐसे देश में बन रहा है जहाँ लाखों लोग बुनियादी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जगन मोहन रेड्डी का आलीशान महल, जिसे पहाड़ काट कर बनाया गया हैइतनी खुली फिजूलखर्ची के बावजूद, इसके निर्माण पर बनी चुप्पी इस बात को दर्शाती है कि राजनीतिक अभिजात्य वर्ग और सत्ता संरचनाओं के बीच कितना गहरा गठजोड़ है। जगन मोहन रेड्डी और नरेंद्र मोदी-अमित शाह के बीच करीबी संबंधों ने यह सुनिश्चित कर दिया कि इस पर कोई मुख्यधारा की बहस न हो और सभी पर्यावरणीय मंजूरियाँ बिना किसी आपत्ति के दे दी गईं। यह पाखंड तब और उजागर होता है जब मोदी स्वयं एक नया प्रधानमंत्री निवास बनवा रहे हैं, जिसकी लागत विपक्ष के अनुसार तीन गुना अधिक बताई जा रही है।

केंद्र में मोदी के साथ गठबंधन करके गोदी में बैठकर यह सब किया जाता रहा है। यही सुख भोगने के लिए अब चंद्रबाबू नायडू भी गठबंधन में शामिल हो गए हैं। इन नेताओं को विचारधारा और जनता की भावना से कोई सरोकार नहीं है। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बने रहकर अपने लिए ऐशो-आराम और धन-संपत्ति जुटाना है, जबकि आम जनता महँगाई, बेरोजगारी और बुनियादी जरूरतों की कमी से जूझ रही है। यह बढ़ती हुई खाई शासकों और शासितों के बीच के अंतर को दर्शाती है, और जब तक जनता चुप रहती है, तब तक यह राजनीतिक वर्ग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता रहेगा, खुद को समृद्ध बनाता रहेगा, जबकि आम नागरिक अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

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