IIT बॉम्बे के 18 साल के छात्र दर्शन सोलंकी ने हॉस्टल की सांतवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। बी.टेक का छात्र दर्शन सोलंकी अहमदाबाद का रहने वाला था। उसने तीन महीने पहले ही इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लिया था। 11 फरवरी को ही उसके पहले सेमेस्टर की परीक्षा समाप्त हुई थी, जिसके बाद 12 फरवरी को वह सातवीं मंजिल से कूद गया।
इसके बाद अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इसे जातीय उत्पीड़न का मामला बताया है। तो कुछ लोग इसे पढ़ाई के दबाव के कारण उठाया गया कदम बता रहे हैं। हालांकि छात्र ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है, इस घटना के बाद कई तरह की सूचनाएं सामने आ रही हैं।
इसी तरह के एक और मामले में स्कूल के प्रिंसिपल ने 11वीं के एक छात्र राजकुमार को इसलिए मारपीट कर के स्कूल से भगा दिया, क्योंकि उसने प्यास लगने पर बोतल से पानी पी लिया, जो प्रिंसिपल का था। यह घटना उत्तर प्रदेश के बिजनौर के अफजलगढ़ का है। पीड़ित राजकुमार सीरवासुचन्द्र स्थित चमनोदेवी इंटर कॉलेज में 11वीं का छात्र है। बीते 12 फरवरी को स्कूल में 12वीं के छात्रों का फेयरवेल था। जिसमें पीड़ित युवक पहुंचा था। युवक का आरोप है कि उसे प्यास लगी तो उसने सामने रखे बोतल से पानी पी लिया। जिसके बाद प्रिंसिपल योगेन्द्र कुमार और उसके भाई ने बोतल को अपनी बताते हुए उसके साथ मारपीट की और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे स्कूल से भगा दिया। इस मामले में भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
अगर दोनों मामलों को साथ मिलाकर देखें तो साफ है कि दोनों मामले जातिवाद के होते हुए भी अलग हैं। पहले मामले में छात्र ने खुदकुशी कर ली, जबकि दूसरे मामले में पीड़ित ने खुद को प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया। दरअसल जातिवाद ऐसी चीज है, जिसे रोकना दलित समाज के वश में नहीं है। घर से बाहर निकलने पर तमाम लोगों को जातिवाद झेलना ही पड़ता है। खासकर युनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाने वाले युवाओं को तो इसका ज्यादा ही सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों को जातिवाद से लड़ने की ट्रेनिंग दें। उन्हें यह बताएं कि जाति का सवाल उनके सामने आएगा, और जब आएगा तो उससे कैसे निपटना है। ताकि वो जातिवाद के खिलाफ लड़ें, जातिवादियों को मुंहतोड़ जवाब दें, न कि हथियार डाल दें और हॉस्टल की बिल्डिंग से छलांग लगा दें।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।