रांची। झारखंड में बाइक चोरी के शक में पीट-पीटकर मार डाले गए तबरेज अंसारी के एक रिश्तेदार का दावा है कि उसे जहरीला पानी दिया गया था. तबरेज के रिश्तेदार मोहम्मद मसरूर ने बताया, ‘तबरेज के साथ मारपीट के बाद उसे ‘धतूरा’ मिला हुआ पानी दिया गया था.’ साथ ही बताया कि इस मामले में चार्जशीट तुरंत फाइल होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए.’ इस मामले में मुख्य आरोपी सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और लेफ्ट पार्टियों ने सीबीआई की मांग करते हुए राजभवन पर धरना प्रदर्शन किया.
वहीं, झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग की तीन सदस्यीय टीम ने मंगलवार को तबरेज अंसारी के गांव का दौरा किया. आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद कमाल खान ने कहा, ‘हमने मृतक के गांव, कदमडीह का दौरा किया, साथ ही घटनास्थल का भी दौरा किया और मृतक के परिवार के सदस्यों से जानकारी एकत्र किया है.’ उन्होंने कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन ने अपराधियों को पकड़ने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए हैं.
तबरेज की हत्या किये जाने के विरोध में सैकड़ों लोग यहां जंतर-मंतर पर जुटे और उन्होंने पिछले सप्ताह हुई इस घटना के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुबर दास से इस्तीफे की मांग की. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कहा कि यह ‘‘शर्मनाक” है कि विपक्ष को इस जघन्य घटना के बारे में बोलने के लिए एक सप्ताह का समय लग गया. उमर ने भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या किये जाने की घटना पर अंकुश लगाने के लिए ‘‘निर्भया जैसे आंदोलन” का आह्वान भी किया.
उमर ने कहा, ‘‘लोगों को सड़कों पर उतरने की आवश्यकता है क्योंकि दोषियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है.’ पूर्व छात्र नेता ने कहा, ‘हमारा गुस्सा विपक्ष पर भी है. आज वे कहां हैं।’ प्रदर्शनकारी अपने हाथ में तख्तियां लिये हुए थे। उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और दास का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा मांगा. इस प्रदर्शन में भाकपा नेता कन्हैया कुमार ने भी हिस्सा लिया.
बता दें, झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में भीड़ ने तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में कथित रूप से पीट पीट कर मार डाला था. तबरेज अंसारी की 17 जून को पिटाई की गई और 22 जून को उसने दम तोड़ दिया.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।