नई दिल्ली. यूं तो गुजरात में आरक्षित सीटों पर तमाम दलित और आदिवासी विधायक जीते हैं लेकिन जितनी चर्चा जिग्नेश मेवाणी की हो रही है, उतनी किसी की नहीं हो रही है. गुजरात में दलित आंदोलन से निकले युवा नेता जिग्नेश मेवाणी विधायक बन चुके हैं. कांग्रेस सहित तमाम अन्य संगठनों के समर्थन के बाद मेवाणी गुजरात के वडगांव से चुनाव जीते हैं. कहा जा रहा है कि मेवाणी गुजरात में दलितों की आवाज बनकर उभरेंगे. मेवाणी का गुजरात प्लॉन क्या होगा, यह तो वो खुद बताएंगे लेकिन फिलहाल कांग्रेस पार्टी मेवाणी की इसी जीत और प्रसिद्धी को भुनाने का प्लॉन बना रही है.
आने वाले साल 2018 में देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें प्रमुख रूप से कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. इनमें से कर्नाटक छोड़कर तीन प्रमुख राज्यों में भाजपा की सरकार है. कयास है कि कांग्रेस पार्टी इन सभी राज्यों में दलित वोटों को एकजुट करने के लिए जिग्नेश मेवाणी को चेहरा बनाकर पेश कर सकती है. इस कयास को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि जिग्नेश ने बीजेपी और मोदी के खिलाफ देश के बाकी राज्यों में अभियान चलाने का बीड़ा उठाया है. कर्नाटक में तो जिग्नेश ने मोदी के खिलाफ प्रचार का ऐलान भी कर दिया है.
कर्नाटक में करीब 23 फीसदी दलित मतदाता हैं. ऐसे में मेवाणी यहां बड़ा फैक्टर हो सकते हैं. गुजरात चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस से नजदीकी के कारण जाहिर तौर पर मेवाणी कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे. कर्नाटक में तीन प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल (सेक्लूयर) हैं. ऐसे में जिग्नेश का बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.

राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।