देश के नंबर एक विश्वविद्यालय जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर शांतिश्री धउलिपुड़ी पंडित का हिन्दू देवी देवताओं को लेकर दिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। जेएनयू की वीसी ने बीते सोमवार (22 अगस्त 2022) को अंबेडकर लेक्चर सिरिज में हिन्दू देवी देवताओं को लेकर कहा कि कोई भी देवी-देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। उन्होंने भगवान शिव को लेकर कहा कि वह एससी या एसटी हो सकते हैं तो वहीं भगवान जग्गनाथ को आदिवासी मूल का बताया। उन्होंने कहा कि मानवशास्त्रीय रूप से देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। हिन्दी एक धर्म नहीं है, बल्कि जीवन का तरीका है। ऐसे में हिन्दू आलोचना से क्यों डरते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि देवताओं की उत्पत्ति को मानवशास्त्रीय रूप में जानना चाहिए।
मनुस्मृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। महिला को पहचान पिता या पति से मिलती है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्र का दर्जा दिया गया है। महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए उन्होंने यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की वकालत की।
अपने संबोधन में उन्होंने तथागत बुद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक हैं। तो वहीं डॉ. आंबेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में कोई नेता डॉ. आंबेडकर जितना महान नहीं।
जेएनयू की कुलपति के हिन्दू देवी देवताओं पर की गई टिप्पणी पर दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रतन लाल से बात की। इस पर रतन लाल ने कहा कि मैं कुलपति महोदया की बात से सहमत हूं। मैं पिछले कई सालों से कह रहा हूं कि शिव जैसे देवता मूलनिवासियों के हैं। अब समय आ गया है जब दलित बहुजन समाज को ऐसे देवताओं की घर वापसी करानी चाहिए। डॉ. रतन लाल से हुई पूरी बातचीत को आप नीचे दिए गए यू-ट्यूब के लिंक पर जाकर देख सकते हैं।
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अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।