नई दिल्ली। मीडिया में दलितों की भागेदारी को लेकर सर्वे आ चुका है. उस सर्वे में यह साफ उल्लेख था कि मीडिया में दलितों की भागेदारी एक प्रतिशत भी नहीं है. दलित पत्रकार हैं भी तो महज कुछ चुनिंदा संस्थानों में नीचे के पदों पर. इसकी वजह मीडिया में भयंकर रूप से फैला जातिवाद है, जो दलित समाज के युवाओं को मीडिया में आने से रोकता है. इसका एक ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश में देखने को मिला है, जहां पत्रकारिता के छात्र की जाति जानकर देश के बड़े पत्रकारिता संस्थान माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने न सिर्फ उसका मजाक उड़ाया बल्कि जातिगत टिप्पणी भी की. इसके बाद अंकित पचौरी नाम के छात्र ने विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. संजीव गुप्ता के खिलाफ स्थानीय थाने और मानव संसाधन विकास मंत्री से शिकायत दर्ज कराई है.
अंकित अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, कोलार में एम.ए पत्रकारिता के छात्र हैं. भोपाल के अनुसूचित जाति कल्याण थाने में दर्ज कराई गई अपनी लिखित शिकायत में छात्र ने बताया है कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विवि के शिक्षक डॉ. संजीव गुप्ता उसके विभाग में मौखिक परीक्षा आयोजित कराने आए थे. इस दौरान जब अंकित अपने क्लास में पहुंचे तो डॉ. संजीव को देखकर उन्होंने अपने शिक्षक के बारे में पूछा. इस दौरान बातचीत में शिक्षक अंकित से उसकी जाति और पुश्तैनी पेशे के बारे में पूछने लगे. और यह जानते ही कि अंकित दलित समुदाय के खटीक जाति से संबंध रखते हैं, उनका मजाक उड़ाने लगे. अंकित ने इस पर आपत्ति दर्ज कराया और मामले की लिखित शिकायत स्थानीय पुलिस और संबंधित मंत्रालय को लिखी.
अंकित का आरोप है कि सारा वाकया अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के एक अतिथि शिक्षक के सामने घटी थी, लेकिन मामला पुलिस में पहुंचने पर शिक्षक अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर अंकित को विश्वविद्लाय से बर्खास्त करने की धमकी दे रहे हैं. इस पूरे मामले पर भोपाल के समाचार पत्रों ने गंभीर संज्ञान लिया है. इस घटना ने पत्रकारिता संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की सोच पर भी गंभीर सवाल उठा दिया है. अब देखना है कि मंत्रालय और स्थानीय पुलिस प्रशासन अंकित को कब तक न्याय दिला पाते हैं.
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Ankit bhai agr bakai apke sath aesa hua he to ye bilkul galat h….hm apke sath h….apko justice dila kr rhege