नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रहे जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने जितनी सुर्खियां एनजीटी अध्यक्ष रहते बटोरी उतनी चर्चा उन्हें सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल के दौरान भी नहीं मिली. 20 दिसंबर 2012 को न्यायमूर्ति सवतंत्र कुमार ने एनजीटी में पद स्मभाला था. पर्यावरण संरक्षण के लिए जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने ऐसे कई कड़े फैसले लिए जिससे वह पर्यावरण प्रेमियों के चहेते बन गए. एक दिन में 209 मामलों का निपटारा करने और 56 केस में फैसला सुनाने वाले जस्टिस स्वतंत्र कुमार एनजीटी यानि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से सेवानिवृत्त हो गए .
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण आदेश और फ़ैसले लिये. हाल ही में, अमरनाथ पर जाने वाले यात्री अब पवित्र गुफा में जयकारे और मंत्रोच्चार नहीं कर पाएंगे और ना ही घंटियां बजा पाएंगे. राजधानी दिल्ली और एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगा था. इससे पहले एनजीटी तब चर्चा में आयी जब श्री श्री रवि शंकर के आर्ट ऑफ़ लिविंग पर 5 करोड़ का जुरमाना ठोका था. ये मुद्दा इसलिए भी बड़ा हैं क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत तमाम बड़ी हस्तियों ने भी शिरकत की थी . 2015 में फरीदाबाद के क्यूआरजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पर एनजीटी नें 12 करोड़ का जुरमाना ठोक कर बाकि अस्पताल प्रंबंधनो के होश उड़ा दिए थे. यह जुरमाना तय मानक से ज़्यादा निर्माण करने पर लगाया गया था. आखिरी फैसला जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने 8 दिसंबर को वायु प्रदूषण पर सुनाया था.
गन्धर्व गुलाटी

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