हैदराबाद। दलित चिंतक और लेखक कांचा इलैया को ‘जीभ काट देने’, ‘जान से मारने की धमकी’ और जातिसूचक गालियां दी जा रही है. धमकी मिलने के बाद कांचा ने इसकी पुलिस में शिकायत की. हैदराबाद उस्मानिया विश्वविद्यालय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कर उन्होंने कहा कि उन्हें रविवार (10 सितंबर) से लगातार धमकी भरे फोन आ रहे हैं, फोन उठाने पर उन्हें धमकी दी जा रही है और अपशब्द बोले जा रहे हैं.
इलैया ने कहा कि उन्हें ‘सामाजिक स्मग्गलुरलू कोमातोल्लू’ (वैश्य सामाजिक तस्कर हैं) किताब को लेकर अज्ञात लोगों ने फोन कर धमकियां दीं और गाली गलौज की. इलैया ने दावा किया कि आर्य वैश्य संगठनों के कुछ नेताओं द्वारा उनकी आलोचना करने के बाद धमकी भरे फोन आ रहे हैं. उन्होंने तुरंत पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है.
ये भी पढ़ेंः रैदास के खिलाफ ब्राह्मणों ने किया गलत प्रचार
उन्होंने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में लिखा है, ’10 सितंबर से मुझे अज्ञात लोगों के लगातार फोन आ रहे हैं, जब मैं फोन उठाता हूं तो वो लोग मुझसे गंदे तरीके से बात कर रहे हैं. दोपहर में रामकृष्णन के नेतृत्व वाले संगठन आर्य-वैश्य संगम टीवी चैनलों में पर मेरी निंदा कर रहा है. शाम को टीवी9 पर रमाना ने कहा कि ‘वे लोग मेरी जीभ काट देंगे.’ आंध्र ज्योति के मुताबिक रविवार को मेरे पुतले फूंके गए हैं और मुझे अपशब्द कहे गए हैं. आर्य वैश्य नेता कचम सत्यनारायण, राचामल्ला वेंकटेश्वरलु और बुरुगु रविकुमार और अन्य लोग मेरे खिलाफ ये डराने वाली गतिविधियां कर रहे हैं.’
वीडियों देखिएः कांशीराम और अम्बेडकर की शायरी करने वाले राजीव रियाज़ को सुनिए
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी.
आर्य वैश्य संघों ने किताब के शीर्षक तथा उसकी कुछ सामग्री को समुदाय के लिए ‘‘अपमानजनक’’ बताते हुए शहर में विरोध प्रदर्शन किए थे. उन्होंने किताब वापस लेने की मांग करते हुए इलैया के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी.
![dalit dastak](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/DD-logo.jpg)
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।