डीडी डेस्क- लगता है यूपी पुलिस इंसानियत भूल चुकी है। आए दिन यूपी पुलिस का ऐसा रुप देखने को मिल रहा है, जिससे न सिर्फ उस पर उंगली उठ रही है, बल्कि यूपी सरकार भी अपनी पुलिस की करतूत से बैकफुट पर आती जा रही है।
ऐसी ही एक तस्वीर कानपुर देहात के अकबरपुर थाना क्षेत्र से सामने आई है, जिसमें एक बार फिर यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिल रहा है।
बच्चे को गोद में लिए शख्स पर लाठी भांजती ये जुनूनी अकबरपुर की पुलिस यह भी भूल गई कि जिस व्यक्ति पर वह लाठियां बरसा रही है, उसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा भी है। इस पुलिस को बच्चे की चीख भी सुनाई नहीं दे रही, आप खुद अंदाजा लगाईए कि इस पुलिस को कानून का रखवाला कैसे कहा जा सकता है।
भारत का सर्वोच्य न्यायालय और बाल विकास आयोग अक्सर पुलिस को ये खास हिदायत देता रहा है कि वो बच्चों के सामने किसी तरह की हिंसक कार्यवाई ना करें लेकिन पुलिस इस बात को हमेशा ही नजरंदाज करती आई है ख़ास कर यूपी पुलिस। तभी तो शख्स की गोद में लगे इस मासूम बच्चे के कोमल मन पर इस हिंसा का क्या प्रभाव पड़ेगा ये पुलिस ने नहीं सोचा।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जब वायरल हुआ और यूपी पुलिस की जब किरकिरी होना शुरू हुई तब आननफानन में पुलिस ने एक्शन लिया और पिटाई करने वाले इंस्पेक्टर विनोद मिश्रा को तुरंत सस्पेंड कर दिया।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया संज्ञान लेते हुए कहा, आज जिला अस्पताल में एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी रजनीश शुक्ला द्वारा 100-150 लोगों के साथ अराजकता फैलाते हुए ओपीडी को बंद कर दिया गया था। अस्पताल कर्मी मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार करना शुरू कर दिया था। ऐसी स्थिति में सीएमओ, डीएम और पुलिस को सूचना दी गई। सूचना के बाद पुलिस द्वारा समझाने पर भी रजनीश शुक्ला और उसके साथी नहीं माने। उन्होंने चौकी इंचार्ज और उसके साथी को ही एक कमरे में बंद कर अभद्रता करनी शुरू कर दी।’
उन्होंने आगे कहा, ”इस मौके पर पुलिस ने शुक्ला और उसके साथियों को समझाने की कोशिश की। लेकिन रजनीश शुक्ला और उग्र हो गया और थानाध्यक्ष का अंगूठा काट लिया। पूरे अस्पताल में अराजकता बन गई है.. ऐसी स्थिति में हल्का बल प्रयोग किया गया और अस्पताल की व्यवस्था को सुचारू कराया गया। वीडियो में दिख रहा शख्स रजनीश शुक्ला का भाई है जो भीड़ में जाकर लोगों को उकसाने का काम कर रहा था। मना करने पर अभद्रता कर रहा था। फिर भी इस मामले की जांच कराई जा रही है जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी।’
यूपी पुलिस की इस हरकत को पुलिस महकमा लाख जस्टिफाई करने की कोशिश करें लेकिन यूपी पुलिस की बर्बरता वायरल वीडियो में साफ़ देखी जा रही है। जो भी इस वीडियो को देख रहा है उसके मन में यही सवाल कौंध रहा है कि जनता की रक्षक ये पुलिस, परेशानी में फंसे लोगों को उनके बच्चों के सामने ही कैसे बेरहमी से पीट सकती है?
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