आज उत्तर प्रदेश में नई सरकार ने शपथ ले ली. मंच की भीड़ साझी लड़ाई की कहानी बयां कर रही थी. ऐसी कहानी कांग्रेस ने भी गढ़ी थी, लेकिन वहां मुख्यधारा से दलित और पिछड़े गायब थे. थे भी तो ज्यादातर वक्त मजह औपचारिक खानापूर्ति के. दलितों और पिछड़ों को केंद्र में रखकर ऐसी कहानी सबसे पहली बार बहुजन राजनीति के सूत्रधार मान्यवर कांशीराम ने गढ़ी थी. मान्यवर के उसी सूत्र को पकड़ कर भारतीय जनता पार्टी आज उस उत्तर प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमाए बैठी है, जिसे मान्यवर कांशीराम राजनीतिक शब्दावली में शरीर का ‘गर्दन’ कहा करते थे. और उन्हीं की पैदा की हुई बहुजन समाज पार्टी बाहर दूर खड़ी तमाशबीन बनी है.
मंच की भीड़ कोई आम भीड़ नहीं थी. वहां बैठे सबके सब एक-दूसरे से बढ़कर दिग्गज थे. और यूपी जीतने की लड़ाई सबने समान रूप से एकसाथ लड़ा था. इसमें हर किस्म के चेहरे थे. कट्टर, उदारवादी, पिछड़े, दलित और वो सब जो आज की राजनीति में जीतने का माद्दा रखते हैं. और सबसे दीगर बात यह कि इस भीड़ में वो कुछ खास चेहरे भी थे जो कभी मन से अम्बेडकरवाद का नीला झंडा बुलंद किया करते थे. स्वामी प्रसाद मौर्या और सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल ऐसे ही चेहरे हैं.
एक समय बसपा के मंच पर भी ऐसी ही भीड़ दिखती थी. तब कमान कांशीरामजी के हाथों में थी. फिर नेता बदला और मंच की भीड़ भी सिमटती गई. और आज तो मंच इतना सिमट गया है कि वो दर्जन भर कौन कहे दो लोगों के लिए भी अपने दिल में जगह नहीं बना पाता है. भारतीय राजनीति में बहुजन समाज पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसका हर मंच भव्य है लेकिन वहां लोग नदारद हैं. जिस दिन बहुजन समाज पार्टी के मंच पर आज के शपथग्रहण जितनी भीड़ होगी, उस दिन उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उसे 350 से ज्यादा सीटें जीतने से कोई नहीं रोक सकेगा और वह जीत स्थायी होगी, जिसे सालों तक कोई दूसरी पार्टी बदल नहीं पाएगी.

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।