गेम चेंज कर सकता है फ्लोर टेस्ट में प्रोटेम स्पीकर का वोट

कर्नाटक। राजनीति का गणित सरकार बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाता है. प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर डरी कांग्रेस चाहती थी कि बीजेपी की ओर से कोई ना बनें लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और प्रोटेम स्पीकर बीजेपी के अनुसार ही बना. एक तो कांग्रेस के विधायक गायब हैं जिनका कुछ भरोसा नहीं कि किस ओर करवट लेंगे. दुसरी ओर प्रोटेम स्पीकर का वोट बड़ा रोल प्ले करेगा और बाजी पलट सकता है.

घट गई बहुमत की सीट

बता दें कि इससे पहले बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत थी लेकिन राजनीति दावं पेंच के बाद इसका गणित कुछ अलग हो गया है और राजनीति के जानकारों का कहना है कि अब 110 सीट पर भी सरकार बन सकती है. हालांकि एक प्रकार से दोनों दलों के लिए फायदेमंद हो सकता है.

आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक विधानसभा में अभी विधायकों की कुल संख्या- 222 है. जेडीएस के कुमारास्वामी ने दो सीटों से जीत दर्ज की है, पर उनका सिर्फ एक ही वोट  मान्य होगा. इसलिए विधानसभा में वोट की कुल संख्या 221 है.

प्रोटेम स्पीकर की वोट

चूंकि वोट बराबर होने की दशा में प्रोटेम स्पीकर अपना वोट दे सकता है. इसलिए कुल वोट 220 हो गए जिसका आधा 110 हुआ. प्रोटेम स्पीकर को निकालने के बाद बीजेपी के पास 103 वोट हैं इसलिए बीजेपी को 7 और वोट की आवश्यकता होगी. ऐसे में किसी की भी सरकार बन सकती है, लेकिन बात अगर प्रोटेम स्पीकर तक आकर रूकी तो कांग्रेस को झटका लग सकता है.

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