Sunday, February 23, 2025
HomeTop Newsजयंती विशेषः बिहार में कर्पूरी ठाकुर का कद कोई नहीं छू पाया

जयंती विशेषः बिहार में कर्पूरी ठाकुर का कद कोई नहीं छू पाया

महाकवि कबीर ने कहा है-‘सहज सहज सब कोई कहे, सहज न जाने कोइ।’  हालांकि जननायक कर्पूरी ठाकुर का संपूर्ण जीवन ही सहजता का पर्याय था. कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में 24 जनवरी, 1924 को हुआ था. बाद में उनके सम्मान में इस गांव का नाम कर्पूरीग्राम हो गया. सामाजिक रुप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में उनका जन्म हुआ.

कर्पूरी ठाकुर भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता है. उनका पूरा जीवन संघर्ष की मिसाल रहा. तो अपने राजनीतिक जीवन को भी उन्होंने निष्कलंक और पूरी ईमानदारी के साथ जीया और हमेशा गरीबों और शोषितों की भलाई के लिए सोचते और लड़ते रहें. भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे.

आजादी के बाद उनके राजनीतिक जीवन को नई ऊंचाई मिली. तब सत्ता में आने पर देश भर में कांग्रेस के भीतर कई तरह की बुराइयां पैदा हो चुकी थीं, इसलिए उसे सत्ताच्युत करने के लिए सन 1967 के आम चुनाव में डॉ. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में गैर कांग्रेसवाद का नारा दिया गया. कांग्रेस पराजित हुई और बिहार में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी. कमान कर्पूरी ठाकुर को मिली.

वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. अपने शासनकाल में उन्होंने गरीबों के हक के लिए काम किया. पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अति पिछड़ों को हक दिलाने के लिए मुंगेरी लाल आयोग का गठन किया. उनके दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर प्रदेश के शासन-प्रशासन में पिछड़े वर्ग की भागीदारी की बात उठी. तब इसमें उनकी भागीदारी नहीं थी. इसलिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग जोर-शोर से की जाने लगी.

कर्पूरी जी ने मुख्यमंत्री की हैसियत से उक्त मांग को संविधान सम्मत मानकर एक फॉर्मूला निर्धारित किया और काफी विचार-विमर्श के बाद उसे लागू भी कर दिया, जिससे पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिलने लगा. इस पर पक्ष और विपक्ष में थोड़ा बहुत हो-हल्ला भी हुआ. अलग-अलग समूहों ने एक-दूसरे पर जातिवादी होने के आरोप भी लगाए. मगर कर्पूरी जी का व्यक्तित्व निरापद रहा. उनका कद और भी ऊंचा हो गया. अपनी नीति और नीयत की वजह से वे सर्वसमाज के नेता बन गए. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने जिस सादगी के साथ गरीबों का उत्थान किया, वैसी मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिली.

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content