जम्मू-कश्मीर का पहलगाम आतंकी हमले से ऐसा गूंजा है कि उसकी गूंज देश भर में महसूस की जा रही है। मंगलवार 22 अप्रैल को दोपहर तीन बजे के करीब हुए इस आतंकी हमले में 28 नागरिकों की जान चली गई। इसमें दो विदेशी पर्यटक भी थे। खास बात यह है कि इस हमले में सिर्फ पर्यटकों को निशाना बनाया गया है। ये हमला पहलगाम की बैसारन घाटी में हुआ जिसे कश्मीर का ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है। पर्यटकों पर इससे पहले इतना बड़ा हमला कभी नहीं हुआ था। पुलवामा में 40 सैनिकों की हत्या के बाद और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह चरमपंथियों का सबसे बड़ा हमला है।
घटना के बाद तमाम लोग सुरक्षा एजेंसियों और इंटेलिजेंस फेल्योर पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने कहा था कि दुनिया की कोई ताकत कश्मीर को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकता है।
इस बीच हमले को लेकर आ रही खबरें परेशान करने वाली है। इस हमले में भारतीय नौसेना के 26 वर्षीय लेफ़्टिनेंट विनय नरवाल भी मारे गए। बीते 16 अप्रैल को उनकी शादी हुई थी और वह अपनी पत्नी के साथ कश्मीर पहुंचे थे। इस हमले के बाद अपनी सऊदी अरब की यात्रा को बीच में छोड़कर प्रधानमंत्री मोदी भारत पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा है कि ‘हमले के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा।’ लेकिन हमले के बाद श्रीनगर पहुचें गृहमंत्री अमित शाह की रेड कार्पेट वाली फोटो की आलोचना की जा रही है। ऐसे मौकों पर रेड कार्पेट कौन बिछाता है। और कौन उस पर चलता है।
जम्मू कश्मीर कि मस्जिदों से पहलगाम आतंकी हमले कि निंदा कि गई। मीडिया आपको ये नहीं दिखायेगा… pic.twitter.com/vhzniis0Zd
— Ashraf Hussain (@AshrafFem) April 23, 2025
तो वहीं आज तक के रिपोर्टर अशरफ वानी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि खासकर होम मिनिस्ट्री और कुछ अधिकारियों की तरफ से और इंटेलिजेंस की तरफ से सुरक्षा में चूक हुई है।
हालांकि दूसरी ओर इस हमले से कश्मीर में डर का माहौल है। श्रीनगर के मस्जिद से इस हमले की जानकारी देते हुए हमले की निंदा की गई। तो स्थानीय लोगों की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, उसमें कश्मीरी मायूस दिखाई दे रहे हैं और हमले की निंदा कर रहे हैं।
दूसरी ओर पर्यटकों के भरोसे गुजर बसर करने वाले कश्मीरी भी इस हमले के खिलाफ खड़े हो चुके हैं। उनका कहना है कि यह हमला हमारे बच्चों के पेट पर हमारे गुजर बसर पर किया गया है। टैक्सी स्टैंड यूनियन ने तो बकायदा वीडियो जारी कर पर्यटकों के लिए हर तरह की मदद देने की बात कहते दिखे।
आतंकियों ने हाथों में कलावा देखकर.. नाम पूछकर.. धर्म जानकर खून की होली खेली.. मौत का नंगा नाच किया.. लेकिन स्थानीय कश्मीरियों के लिए ये आतंकी हमला उनके पेट पर लात मारने से कम नहीं है. जम्मू-कश्मीर में लंबे अरसे बाद फिर से पर्यटन बढ़ रहा था. आतंकवाद से त्रस्त जम्मू-कश्मीर के… pic.twitter.com/s9L1dxtQpZ
— Vivek K. Tripathi (@meevkt) April 23, 2025
हालांकि भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर एक दूसरी ही बहस चल रही है। वह धर्म की बहस है। इसमें खासकर सारा जोर इस बात पर है कि हिन्दुओं को चुन-चुन कर धर्म पूछ कर गोली मारी गई। हालांकि मृतकों में दो कश्मीरी मुस्लिम, एक बंगलौर का मुस्लिम व्यक्ति और दो विदेशी भी हैं। मृतक सईद हुसैन शाह जम्मू कश्मीर के अनंतनाग से हैं। यह खबर कश्मीर के लोगों के मार्फत मीडिया में घूम रही है।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की छत्तीसगढ़ यूनिट ने तो इस हमले में अपनी असंवेदनशीलता और एजेंडा सेटिंग की शर्मनाक कोशिश दिखा दी है। उसने बड़ी बेशर्मी से एक पोस्टर जारी कर दिया है, जिसमें लिखा गया है, धर्म पूछा – जाति नहीं। याद रखा जाएगा। जब देश गम में डूबा है तो क्या किसी राजनीतिक दल को, जो सत्ता में भी हो ऐसी बेशर्मी की छूट दी जा सकती है। हर सवाल जनता खुद से जरूर पूछे।
रक्षा विशेषज्ञ इसे मोदी सरकार की विफलता बता रहे हैं। रिटायर्ड मेजर जनरल जी.डी बख्सी का मोदी सरकार पर आरोप है कि मोदी सरकार ने पैसा बचाने के लिए राष्ट्र की सुरक्षा के साथ समझौता किया। भर्ती बंद करके सेना में 1 लाख 80 हज़ार सैनिक कम किए फिर 4 साल सेना में भर्ती की अग्निवीर जैसी स्कीम लाई। ये तमाम सवाल ऐसे हैं, जिस पर सरकार को जवाब देने की जरूरत है। सरकार आतंकवादियों को और देश को क्या जवाब देगी, इसका इंतजार रहेगा।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।