तिरुअनंतपुरम। केरल भारत का सबसे साक्षर राज्य है लेकिन यहां पर भी छूआछूत अपनी चरम सीमा पर है. 21वीं सदी में भी केरल के तिरुअनंतपुरम जिला में दलितों को तालाब से पानी भरने के लिए रोक दिया गया है जिससे दलित गड्ढो का गंदा पानी पीकर जीवन जी रहे हैं. मंगलवार को खबर प्रकाश में आने पर सोशल मीडिया पर लोगों ने उन ऊंची के जाति के लोगों पर थू-थू की.
10 दलित परिवार की परेशानी
नेटवर्क18 की खबर के अनुसार यह मामला तिरुअनंतपुरम जिले के वरकाला गांव का है. वरकाला के पास स्थित करुनिलाकोट में एक तालाब है. इस तालाब का इस्तेमाल बड़ी जातियों के लोग जैसे नायर, एझावा और मुस्लिम करते हैं इसलिए कुरवा और ठंड़ार जाति के दलित लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. इस वजह से करीब 10 दलित परिवार तालाब के बाहर गड्ढे से गंदा पानी पी रहा है.
अभीतक इन पीड़ित दलित परिवार के लिए कोई आगे नहीं आया है जबकि उस इलाके के एमएलए और काउंसिलर सत्तारूढ़ पार्टी सीपीएम से हैं.
अलग कुआं बनाने की बात
वार्ड पार्षद ने इस छुआछूत की समस्या को दूर करने के बजाय यह कहकर खुद को बचाते दिख रहें हैं कि दलितों के लिए अलग कुआं बनवा दिया जाएगा. जबकि पानी के साथ-साथ छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए. हालांकि पार्षद भी ऊंची जाति वालों से डरा हुआ है. उसका कहना है कि यदि वह प्रतिबंध हटाने की बात करेगा तो बड़ी जाति के लोग उसकी पिटाई करेंगे. पार्षद के बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि दलितों पर किस तरह का अत्याचार बरपा जा रहा है.
-रवि कुमार गुप्ता
Read Also-येदियुरप्पा ने चुनाव आयोग को बताया झूठा
- दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करें https://yt.orcsnet.com/#dalit-dastak
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।