नई दिल्ली। 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ देश भर के बहुजन सड़क पर हैं. इसको लेकर तमाम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षक और शोधार्थियों ने आंदोलन छेड़ रखा है. साथ ही 31 जनवरी को इसको लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी हो रही है. दरअसल महविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की चाहत रखने वाले SC,ST एवं OBC अभ्यर्थियों के लिए बुरी खबर है. आरक्षण रोस्टर को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज होने के बाद आरक्षित वर्ग के लिए कोटे से महाविद्यालय-विश्वविद्यालयों में प्राध्यापक बनने के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं.
एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर के पद पर पहले से ही आरक्षण का प्रावधान नहीं है. अब नये फैसले से असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्तियां भी प्रभावित होंगी. सरकार ने 13-बिन्दु वाले आरक्षण रोस्टर (13 प्वाइंट रोस्टर) के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले (अप्रैल, 2017) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के SLP को खारिज कर दिया, जिसमें 13 के बदले 200 बिन्दु आरक्षण रोस्टर प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ही सही ठहराया. नये फैसले के अनुसार महाविद्यालय-विश्वविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति हेतु विषयवार/विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार किया जाएगा. यह 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली पर आधारित होगा. इसमें प्रथम तीन पद सामान्य के लिए और चौथा पद OBC के लिए आरक्षित रहेगा. पांचवां-छठा पद भी सामान्य रहेगा. सातवां पद SC और 14वां पद ST के कोटे में जाएगा. अर्थात एक विषय में 04 रिक्तियां होंगी तो एक OBC को मिलेगा, 07 रिक्तियां होने पर एक पद SC को तथा 14 रिक्तियां होने पर एक पद ST के खाते में जाएगा.
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विज्ञापनों में अक्सर एक विषय में एक या दो पदों की ही रिक्ति निकलती है. इस प्रकार आरक्षित वर्ग को केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अब मौका नहीं मिल पाएगा. राज्य विश्वविद्यालयों की भी कमोबेश यही स्थिति है. ऐसा बहुत कम होता है कि राज्य के विश्वविद्यालयों द्वारा एक विषय में सहायक प्रोफेसर पद के लिए सात या चौदह पद एक बार में विज्ञापित किए जाते हों. ऐसी स्थिति में कोटे से सहायक प्राध्यापक बनने के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं.
रिपोर्ट– रामकृष्ण यादव
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