काँवड़ यात्रा में दुकानों पर नाम, कहीं उपचुनाव को लेकर सीएम योगी का दांव तो नहीं?

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घनश्याम हो या इमरान अब हर किसी को अपने फलों की दुकान पर अपना नाम लिखना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने का सख्त आदेश जारी कर दिया है। आदेश में साफ कहा गया है कि हर हाल में दुकानों पर संचालक और मालिक का नाम लिखा होना चाहिए, इसके साथ ही उसे अपनी पहचान के बारे में बताना होगा। कहा जा रहा है कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया है।

हालांकि योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद सूबे में सियासत तेज हो गई है। इस बारे में जब पहली बार मुजफ्फरनगर जिले में फैसला लिया गया था, तभी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए न्यायालय से इस बारे में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की थी। अखिलेश का कहना था कि-

… और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा?
माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जाँच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।

तो वहीं बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने भी न सिर्फ योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, बल्कि सीएम योगी की राजनीतिक चाल को भी बेनकाब कर दिया है। बहनजी ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा है कि-

 

यूपी व उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कावंड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक व स्टॉफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने व मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक। धर्म विशेष के लोगों का इस प्रकार से आर्थिक बायकाट करने का प्रयास अति-निन्दनीय है। यह एक गलत परम्परा है जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरन्त वापस ले।

अपने बयान में बहनजी ने इसे चुनावी लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम बताया है। तो क्या यही सच है? क्योंकि लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा सिर्फ 33 सीटें जीत सकी थी, जो उसके लिए एक बड़ा झटका था। यूपी में मिली हार के कारण ही मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में अल्पमत में आ गई थी। जिससे मोदी और अमित शाह योगी से नाराज थे।

उसके बाद से ही भाजपा के भीतर सीएम योगी के खिलाफ आवाज उठने लगी है। केशव प्रसाद मौर्य ने तो जमकर मोर्चा खोल दिया है। बताया जा रहा है कि वह ऐसा दिल्ली के इशारे में पर कर रहे हैं। ऐसे में सीएम योगी उपचुनाव वाली 10 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर विरोधियों को करारा जवाब देने के मूड में हैं। खबर है कि उपचुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। 7 सीटों पर सपा और 3 सीटों पर कांग्रेस के चुनाव लड़ने की खबर सामने आ रही है। ऐसे में अगर योगी आदित्यनाथ मैदान मार लेते हैं तो वह दिल्ली को यह मैसेज देने में कामयाब होंगे कि उनमें अखिलेश और राहुल गाँधी दोनों को रोकने की क्षमता है।

यूपी में जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें से 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी, 3 पर भाजपा और 1-1 सीट पर आरएलडी और निषाद पार्टी का कब्जा था। नियम के मुताबिक छह महीने के भीतर इस पर चुनाव कराने होंगे। हालांकि माना जा रहा है कि इस पर जल्दी ही चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में काँवड़ यात्रा के बहाने उग्र हिन्दुत्व का चेहरा सामने रखकर योगी आदित्यनाथ सवर्णों के साथ दलितों और पिछड़ों को भी अपने पाले में लाने की तैयारी में हैं। देखना होगा कि उनका यह दांव कितना सटीक बैठता है।

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