नई दिल्ली। देवरिया में बालिका संरक्षण गृह में कथित तौर पर लड़कियों के साथ यौन शोषण होने का मामला हाल ही में सामने आया और उसकी संचालक गिरिजा त्रिपाठी अब पुलिस की गिरफ़्त में है.
लेकिन गिरिजा त्रिपाठी पिछले बीस साल से एक-दो नहीं बल्कि गोरखपुर और देवरिया में कई महिला संरक्षण गृह चला रही हैं और इस दौरान दिनों-दिन उनकी तरक़्क़ी भी होती रही.
गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन त्रिपाठी को क़रीब से जानने वाले दिनेश मिश्र बताते हैं, “मोहन त्रिपाठी यहीं नूनखार गांव के रहने वाले हैं. पहले भटनी चीनी मिल में काम करते थे.”
“बाद में मिल बंद हो गई तो नौकरी भी चली गई. गिरिजा त्रिपाठी ने वहीं पर एक संस्था बनाकर महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाना शुरू किया और बाद में वो मां विंध्यवासिनी सेवा समिति बनाकर महिला संरक्षण गृह चलाने लगीं.”
दिनेश मिश्र बताते हैं कि इस संस्था के नाम पर वो कई महिला संरक्षण गृह, विधवा आश्रम और कुछ परामर्श केंद्र चलाती हैं.
सम्मानित होती रहीं है गिरिजा त्रिपाठी
गिरिजा त्रिपाठी आज लोगों की नज़रों में ‘खलनायिका’ जैसी दिख रही हों लेकिन अब से कुछ दिन पहले तक देवरिया और गोरखपुर में उनकी छवि एक समाजसेवी की थी.
सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्तर पर चलने वाली कई सामाजिक संस्थाओं और समितियों की वो सदस्य रही हैं. रेडक्रॉस सोसाइटी जैसी संस्थाएं उन्हें सम्मानित करती रही हैं.
पिछले साल फिक्की ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाली देश की जिन 150 महिलाओं को सम्मानित किया था, उसमें गिरिजा त्रिपाठी भी शामिल थीं. उन्हें कई स्थानीय कार्यक्रमों में बतौर अतिथि बुलाया जाता रहा था.
बताया जाता है कि ज़िले के अफ़सरों से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं तक से उनके अच्छे संबंध रहे हैं और जानकारों के मुताबिक, यही वजह रही है कि उनकी संस्थाओं में अंदरखाने क्या हो रहा है, ये किसी को पता नहीं चल पाया और इन संस्थाओं को सरकारी फंड मिलता रहा.
जिला पुलिस ने उन्हें दी थी बड़ी ‘भूमिका’
गिरिजा त्रिपाठी की बेटी कंचनलता त्रिपाठी भी इन संस्थाओं को चलाने में उनका सहयोग करती थी और बीजेपी के एक नेता के साथ उनकी तस्वीर घटना के सामने आने के बाद काफ़ी चर्चा में है. कंचनलता त्रिपाठी भी फ़िलहाल पुलिस की गिरफ़्त में है.
वैसे दिलचस्प संयोग ये है कि कुछ समय पहले ही ज़िला पुलिस ने महिला ऐच्छिक ब्यूरो में गिरिजा त्रिपाठी को बड़ी भूमिका दी थी.
देवरिया के पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय बताते हैं, “जब तक किसी के बारे में कोई ग़लत जानकारी न मिल रही हो तो महिलाओं की सेवा में लगे किसी भी व्यक्ति या संस्था को सम्मानित करने में कोई हर्ज़ नहीं. लेकिन जैसे ही हमें अनियमितता की बात पता चली तो निगरानी भी रखी गई और सख़्ती भी बरती गई.”
राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़
ज़िला प्रशासन के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “गिरिजा त्रिपाठी, उनके कारनामे और उनकी प्रतिष्ठा उस राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक गठजोड़ की सच्चाई है जो दिखती सबको है लेकिन आधिकारिक और क़ानूनी रूप से सामने कभी-कभी ही आती है. डीएम, एसपी से लेकर ऐसा कोई अधिकारी नहीं होगा जिसे छोटे से शहर में स्थित इस संस्था के बारे में पता न हो लेकिन कभी ये जानने की कोशिश नहीं की गई कि यहां वास्तव में होता क्या है.”
हालांकि ये अधिकारी एक झटके में गिरिजा त्रिपाठी को पूरी तरह दोषी भी नहीं ठहराते हैं. उनके मुताबिक ये मामला वास्तव में तब इतना तूल पकड़ा, जब विभागीय अधिकारियों से ही गिरिजा त्रिपाठी की अनबन हो गई.
ख़ुद गिरिजा त्रिपाठी भी गिरफ़्तार होने से पहले मीडिया से बात करते हुए ये कह चुकी हैं. उन्होंने चुनौती भी दी थी कि जिस लड़की ने महिला थाने जाकर यौन शोषण जैसी घटना का ज़िक्र किया है, उससे ये बातें ज़बरन कहलवाई गई हैं.
गिरिजा त्रिपाठी को जानने वाले दिनेश मिश्र बताते हैं कि गिरिजा त्रिपाठी ने पहले अपनी संस्था का काम चीनी मिल में अपने पति को मिले छोटे से कमरे से शुरू किया था लेकिन मिल के बंद हो जाने के बाद ये लोग साल 2002 के आस-पास देवरिया आकर यहीं काम करने लगे.
देखते-देखते अमीर बन गई गिरिजा त्रिपाठी
जानकारों के मुताबिक देवरिया आने के बाद इन लोगों का पहले से चल रहीं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े लोगों से संपर्क हुआ और देखते-देखते गिरिजा त्रिपाठी देवरिया के जाने माने लोगों में शुमार हो गईं. धीरे-धीरे गिरिजा त्रिपाठी को बालिका गृह, शिशु गृह के साथ ही गोरखपुर और देवरिया में वृद्धाश्रम चलाने की भी अनुमति मिल गई.
गिरिजा त्रिपाठी के पड़ोसियों का कहना है कि इन सारी संस्थाओं को चलाते हुए उन्होंने काफ़ी संपत्ति अर्जित की और फिर देवरिया के ही रजला इलाक़े में एक शानदार घर बनवाया.
पड़ोसियों के मुताबिक़ ज़िले में आने वाला कोई बड़ा अधिकारी ऐसा नहीं था जिसकी गिरिजा त्रिपाठी से नज़दीकी न रही हो. यही वजह है कि देवरिया से लेकर दिल्ली तक उन्हें नारी संरक्षण और समाजसेवा के क्षेत्र में तमाम सम्मान और पुरस्कार मिले हैं.
स्टेशन रोड स्थित जिस संस्था पर गत दिनों छापा पड़ा, वहां भी परिवार परामर्श केंद्र चलता था जहां गिरिजा त्रिपाठी बिछड़े और टूटे परिवारों को मिलाने में सहयोग करती थीं.
फ़िलहाल गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति मोहन त्रिपाठी और उनकी बेटी कंचनलता त्रिपाठी पुलिस की गिरफ़्त में हैं.
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