करांची। भारत और पाकिस्तान में इन दिनों कृष्णा कोहली के नाम की चारो ओर चर्चा है. असल में कृष्णा कोहली पाकिस्तान में सीनेटर बनने वाली पहली दलित महिला हैं. शनिवार 3 मार्च को पाकिस्तान में हुए सीनेट के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल कर ली है. उन्हें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सिंध क्षेत्र से टिकट दिया था. कृष्णा की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि वह काफी गरीब परिवार से आती हैं. उन्होंने बचपन में मजदूरी भी की है.
39 वर्षीय कृष्णा की जिंदगी संघर्षों के बीच बीती है. उनका परिवार नगरपारकर इलाके के एक गांव में रहता था. कृष्णा के पिता जुगनू कोहली मजदूरी करते थे और एक बार तो उनके पूरे परिवार को तीन साल तक जमींदार की कैद में रहना पड़ा. 16 साल की उम्र में ही कृष्णा की शादी कर दी गई थी, जब वो 9वीं कक्षा में पढ़ती थी. हालांकि उनके पति ने उन्हें आगे पढ़ने और बढ़ने में मदद की.
2013 में कृष्णा ने सिंध यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की. इससे पहले ही कृष्णा ने साल 2005 में सामाजिक कार्य शुरू किया और साल 2007 में इस्लामाबाद में आयोजित तीसरे मेहरगढ़ मानवाधिकार नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर के लिए उन्हें चुना गया. इसके बाद वह मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में उभरी थीं. कृष्णा को मौका देने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो की भी काफी तारीफ हो रही है. माना जा रहा है कि कृष्णा के उच्च सदन का सदस्य चुने जाने से पाकिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को आवाज मिलेगी.
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