लैटरल एंट्री पर गरमाई सियासत, बहुजन नेताओं ने खोला मोर्चा

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जब वंचित समाज आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले की समीक्षा करने में जुटा है, लैटरल एंट्री यानी बिना किसी परीक्षा के जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों को भरने का फरमान जारी हो गया है। 17 अगस्त को आए इस नोटिफिकेशन को लेकर बहुजनों में खासा गुस्सा है। सामाजिक न्याय की संस्थाओं के साथ-साथ बहुजन नेताओं ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इस भर्ती को गलत, असंवैधानिक और गैर कानूनी बताया है। बसपा सुप्रीमों ने कहा कि-
केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। इन सरकारी नियुक्तियों में SC, ST व OBC वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा। और इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाये हुए भरना बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा।

वहीं, दूसरी ओर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भी इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हुए उन्होंने कहा है कि परम् पूज्य बाबा साहब डॉo भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा के सामने सिर झुकाकर, संविधान को माथे पर लगाने वाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार उसी संविधान की किस कदर हत्या करने पर तुली है लेटरल एंट्री का यह नोटिफिकेशन इसका जीता जागता उदाहरण है।

केंद्र सरकार द्वारा अपनी विचारधारा के 45 लोगों को बिना कोई परीक्षा पास किए बैकडोर से मंत्रालयों में बैठाने के लिए एक बार फिर से विज्ञापन निकाल दिया है। जिसमें किसी भी पद पर कोई आरक्षण नहीं है।

नगीना सांसद चंद्रशेखर का आरोप है कि इन पदों की अघोषित योग्यता ये है कि अभ्यर्थी संघ से जुड़ा हो और राजनैतिक तौर पर भाजपा की विचारधारा लिए काम करता हो। न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि OBC/SC/ST में जबरन क्रीमी लेयर खोजने वाले माननीय न्यायमूर्तियों और केंद्र सरकार से सवाल इन पदों पर इन वर्गों का तथाकथित क्रीमीलेयर कहां चला जाता है? चंद्रशेखर ने सड़क से लेकर संसद तक इसके खिलाफ आवाज उठाने की बात कही है।

गौरतलब है की ये पहला मौका नहीं है। इससे पहले मोदी सरकार लेटरल एंट्री के नाम पर 2017 से 2023 के बीच लगभग 52 नियुक्तियां कर चुकी है, जिनमें कोई आरक्षण नहीं दिया गया। यह नियुक्ति “राजनैतिक सरपरस्ती” के चलते मिल गई। लेटरल एंट्री के ज़रिए भरे जाने वाले इन पदों में 𝟒𝟓 जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी हैं।

अगर 𝐔𝐏𝐒𝐂 परीक्षा के माध्यम से इन यह नियुक्ति करती तो 𝟒𝟓 में से तकरीबन 𝟐𝟑 अभ्यर्थी दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों से चयनित होकर आते लेकिन आरक्षण और संविधान विरोधी केन्द्र की भाजपा सरकार ने चोर दरवाजे यानि बैकडोर से खास जातियों और विचारधारा के चहेतों को मंत्रालयों में बैठाने का प्रबंध कर लिया है। हालांकि बहुजन समाज ने भी साफ कर दिया है कि अब वह इस मुद्दे पर चुप बैठने वाली नहीं है और सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है।

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