सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो कि वो लोगों की बुनियादी जरुरतों को तो पूरा कर ही दे रही है. लेकिन देश में आज भी कई दलित परिवार ऐसे हैं जिनके सिर पर छत नसीब नहीं हुई है. हम बात कर रहे हैं जम्मू के हीरानगर की जहां पर 200 दलित परिवारों को कोर्ट के आदेश के बावजूद भी आज तक आशियाना हासिल नहीं हुआ है.
दरअसल 1965 में राज्य सरकार ने कठुआ जिले के 350 भूमिहीन दलित परिवारों को बसाने के लिए भूमि मुहैया करवाने की घोषणा की थी, जिसमें 150 परिवारों का घर तो बसा दिया गया, लेकिन हीरानगर के 200 भूमिहीन दलित परिवारों के सर पर आज तक छत मयस्सर नहीं हो पाई है.
इस बाबत पिछले एक दशक से दलित परिवार सरकारी बाबूओं के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. लोगों का मानना है कि जिस भूमि को सरकार ने उनके लिए आंवटित किया है उस पर भू माफिया कुंडली मारे बैठे हैं और प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है.
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