जातीय नफरत से फिर हारा प्यार, मार दिया गया प्रणब

कहते हैं प्यार से खूबसूरत शै कुछ भी नहीं. इसी तरह इस दुनिया में जातिवाद और ब्राह्मणवाद से बदत्तर, निर्मम और घिनौनी व्यवस्था भी कोई और नहीं है. जाति को लेकर हुए एक और ऑनर किलिंग का मामला सामने आने के बाद ऐसा कहा जा सकता है. तेलंगाना के नलगोंडा के 24 साल का दलित युवक प्रणय सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसने एक ऊंची जाति सवर्ण समाज की वैश्य लड़की अमृथा से प्यार किया था.

बचपन की दोस्ती और फिर अफेयर के बाद 8 महीने पहले दोनों ने शादी करके ज़िंदगी भर साथ रहने का फैसला किया था. पर अमृथा के ऊंची जात वाले माँ-बाप को बेटी का दलित लड़के से रिश्ता कतई मंजूर नहीं हुआ. लड़की के परिवार की धमकियों और जान के खतरे को देखते हुए दोनों अपने शहर से दूर दूसरी जगह भी रहने चले गए थे.

शादी के बाद से ही लड़की के पैरेंट्स ने प्रणय और उसके परिवार को लगातार टॉर्चर करना शुरू कर दिया. प्रणय पर किडनैपिंग, रेप, धमकी, बलवा जैसे कई आरोपों में एफआईआर भी करवाई लेकिन अमृथा के हरकदम पर प्रणय का साथ देने के चलते पुलिसिया कार्यवाही ज़ोर नहीं पकड़ सकी. 8 महीने के बाद गुरुवार को प्रणय की एक स्थानीय अस्पताल के सामने दिनदहाड़े धारदार हथियार से हत्या कर दी गई जब वो अपनी प्रेग्नेंट पत्नी को चैकअप के बाद अस्पताल से बाहर लेकर आ रहा था.

अमृथा और प्रणय दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और वेल सेटल्ड भी. आर्थिक पक्ष मजबूत होने के बाद भी प्रणय की जाति ही उसकी जान लिए जाने कारण बन गई. आर्थिक स्थिति भारत में उतना मायने नहीं रखती जितना मायने रखता है ऊँची जात होना.

अमृथा 7 महीने की प्रेग्नेंट है. दोनों इस समय आने वाले मेहमान के स्वागत की तैयारी कर रहे थे, भविष्य के सपने बुन रहे थे. पर जातिवाद-ब्राह्मणवाद न ही प्यार देखता है ना इंसानियत. उसे सपने, वजूद, व्यक्ति, भविष्य कुछ नहीं दिखता. अमृथा और प्रणय जैसे लाखों की खुशियां जातिवाद की निर्मम व्यवस्था की भेंट चढ़ गई. सवर्ण बेहतर समाज बनाना तो दूर की बात, अब तक इंसान भी नहीं बन सके हैं. लोग कहते हैं जमाना बदल गया है, बदला तो फिर ये क्यों???

 दीपाली तायड़े

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