पेरियार को आदर्श मानने वाली एम.के. स्टॉलिन सरकार ने तमिलनाडु में जातिवाद को जड़ से खत्म करने के लिए नया फार्मूला तैयार किया है। इसके तहत राज्य में स्कूल परिसर में धार्मिक कलाई बैंड, अंगूठियां और माथे पर तिलक जैसे चिन्हों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के. चंदू की अध्यक्षता में जातिवाद को रोकने के लिए एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने मुख्यमंत्री स्टालिन को 610 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है, जिसने कई सिफारिश की गई है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल के नाम से जाति संबंधी नाम हटाए जाएं। शिक्षकों का समय-समय पर ट्रांसफर हो ताकि वे उन इलाकों में ज्यादा नहीं रहे, जहां उनकी जाति का प्रभाव है। इसके अलावा जातिवाद को रोकने के लिए जो अन्य सिफारिश की गई है, उसमें,
- सरकारी और निजी दोनों स्कूलों से जाति को संबोधित करने वाले उपनाम हटाए जाने की सिफारिश की गई है।
- साथ ही यह भी कहा गया है कि,अटेंडेंस रजिस्टर में भी विद्यार्थियों की जाति नहीं लिखी जाए।
- क्लास रूम में बैठने की व्यवस्था वर्णमाला के आधार पर हो।
- क्लास 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए जातिगत भेदभाव, हिंसा, यौन उत्पीड़न तथा एससी-एसटी एक्ट जैसे कानूनों पर अनिवार्य रूप से कार्यक्रम हो।
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि 500 से ज्यादा छात्रों वाले हर माध्यमिक विद्यालय में एक स्कूल कल्याण अधिकारी होना चाहिए। निश्चित तौर पर एम.के. स्टॉलिन सरकार की जातिवाद को रोकने के लिए की गई यह कोशिश शानदार है। हालांकि तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष धार्मिक प्रतीकों के उपयोग को बैन किये जाने का विरोध कर रहे हैं। लेकिन विरोध करने वाले यही लोग जातिवाद की घटनाओं पर चुप्पी साध लेते हैं। दरअसल पिछले साल तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में कथित तौर पर दो दलित भाई-बहनों से ऊंची जाति के कुछ छात्रों ने मारपीट की थी। इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था।
साल 2023 में आई नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 से 2023 के चार सालों के दौरान दलित उत्पीड़न की एक लाख 90 हजार घटनाएं दर्ज की गई थी। इन चार सालों में तमिलनाडु में दलित उत्पीड़न के 5208 मामले दर्ज किए गए। जातिवाद के ऐसे मामले रोकने के लिए स्टॉलिन सरकार जिस तरह के कदम उठाने की तैयारी में है, उससे जातिवाद पर करारी चोट लगेगी। ऐसे उपाय अपनाने के लिए दूसरे राज्यों को भी सोचना चाहिए, ताकि देश भर में जातिवाद खत्म हो सके।
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राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।