लेखक-पत्रकार भंवर मेघवंशी की पुस्तक “मैं एक कारसेवक था” के अंग्रेजी संस्करण के नाम बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इस पुस्तक को अंग्रेजी दैनिक द टेलिग्राफ के द्वारा वर्ष 2020 के नॉन फिक्सन की सूची में शामिल किया गया है। अंग्रेजी अनुवाद का नाम, I Could Not Be Hindu: The Story of a Dalit in The RSS है। यह पुस्तक नवयाना प्रकाशन ने प्रकाशित की थी।
इस सूची में कुल 14 किताबों को शामिल किया गया है, जिसमें आक्सफोर्ड से लेकर कैम्ब्रिज, सेज और पेंगुइन आदि प्रकाशन से दिग्गज लेखकों की लिखी पुस्तकें शामिल हैं। इस सूची को ‘द टेलिग्राफ’ ने साल 2020 का बेस्ट नॉन फिक्सन कहा है।
जहां तक भंवर मेघवंशी की पुस्तक ‘मैं एक कारसेवक था’ (I Could Not Be Hindu: The Story of a Dalit in The RSS) की बात है तो यह पुस्तक मेघवंशी के उन दिनों के संस्मरण पर आधारित है, जब वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता थे। यहां तक की उन्होंने राम मंदिर के लिए कार सेवा भी की थी। लेकिन उसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने भंवर मेघवंशी के सामने आरएसएस में व्याप्त जातिवाद की कलई खोल कर रख दी। भंवर मेघवंशी का कहना है कि आरएसएस ने इस किताब को लेकर चुप्पी साध ली थी, ताकि उसके भीतर का जातिवाद बाहर लोगों के बीच न आ जाए।
इसके बाद से ही भंवर मेघवंशी ने आरएसएस छोड़ कर आंबेडकरवाद का दामन थाम लिया। उन्होंने बाबासाहब के विचारों को पढ़ा और आज एक बहुजन चिंतक के तौर पर जाने-माने नाम हैं। साथ ही आंबेडकरी आंदोलन में अपनी शानदार लेखनी के लिए जाने जाते हैं।
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वीडियो देखिए- एक दलित कारसेवक से सुनिए अयोध्या आंदोलन की सच्चाई

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