Saturday, January 11, 2025
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दलित मतदाताओं को साधने का बड़ा मंच बना आंबेडकर का जन्मस्थान महू

महू (इंदौर)। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्मस्थान महू दलित वोटों को साधने का एक बड़ा मंच बन चुका है. तीन दशकों से चुनावों को दौरान अकसर बड़े नेता महू का रुख करते रहे हैं. इनमें कांशीराम, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, राजीव गांधी, नरेंद्र मोदी, मायावती जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं.

बाबा साहेब आंबेडकर भले ही जन्म के बाद कुछ ही समय महू में रहे हों, लेकिन इस शहर का नाम उनके साथ ही दलित अस्मिता का प्रतीक बन चुका है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से हर बड़ा नेता इस मंच से देशभर के दलितों तक पहुंचना चाहता है.

इसी उम्मीद में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी 30 अक्टूबर को यहां आने वाले हैं. वे सभा संबोधित करने से पहले आंबेडकर स्मारक पहुंचेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वे यहां पहली बार आ रहे हैं. हालांकि साढ़े तीन साल पहले भी वे यहां आ चुके हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी नजर मध्य प्रदेश के करीब 80 लाख दलित वोटों पर है. महू में ही करीब तीस हजार दलित मतदाता हैं.

इस विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसी 22 अक्टूबर को पाटीदार नेता हार्दिक पटेल महू में थे. अपने रोड शो के बाद वे आंबेडकर स्मारक गए, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी दिन अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के बाद आंबेडकर स्मारक पहुंचकर शीश नवाया.

यूं तो महू में चुनाव प्रचार के लिए वाजपेयी और नरसिम्हाराव जैसे नेता पहले भी आते रहे हैं लेकिन 80 के दशक के अंत में आंबेडकर मूवमेंट जोर पकड़ रहा था. इसके बाद यहां सबसे ज्यादा महाराष्ट्र की ओर से आंबेडकर अनुयायी आते थे. 90 का दशक आते-आते महू शहर का नाम पूरी तरह बाबा साहेब की जन्मस्थली के रूप में जाना जाने लगा था. इसके बाद राजनेताओं के यहां आने का सिलसिला शुरू हुआ.

वर्ष 1991 के आम चुनाव के समय जब प्रदेश में भाजपा की पटवा सरकार थी, तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, कांशीराम, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मायावती यहां आए थे. इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान भी नेताओं के आने का सिलसिला जारी रहा.

2008 में आचार संहिता लगने से कुछ पहले लालकृष्ण आडवाणी ने आंबेडकर स्मारक का लोकार्पण किया. वहीं 2013 में आंबेडकर स्मारक में पांच प्रतिमाओं का अनावरण हुआ. इसके बाद 2 जून 2015 को राहुल गांधी और 14 अप्रैल 2016 (आंबेडकर जयंती) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 14 अप्रैल 2018 को राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद भी यहां आए.

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