राजस्थान हाईकोर्ट में मनु की मूर्ति स्थापित है, जबकि संविधान निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा हाई कोर्ट के बाहर एक चौराहे के कोने में लगी हुई है. समाज में आज भी मनुस्मृति का शासन चलता दिखाई पड़ता है, ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि मनु की मूर्ति हटाने और मनु स्मृति दहन जैसे प्रतीकात्मक कार्यवाहियों को पुन: हाथ में लिया जाये. इसी क्रम में 26 अक्टूबर को गुजरात उना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक जिग्नेश मेवाणी की मौजूदगी में जयपुर में जुटे मानवतावादी लोगों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है कि या तो मनुवाद रहेगा या मानवतावाद.
मेवाणी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का अगर 56 इंच का सीना है और वह खुद को अम्बेडकर भक्त मानते है तो स्वयं मनु की मूर्ति को तोड़ें और उसका विरोध करें. उन्होंने कहा कि हम मनु की मूर्ति को हटाने के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे. यह विरोध प्रदर्शन जयपुर में होगा. इस बैठक में फैसला लिया है कि अगामी 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस मनाया जाएगा. राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में लोग मनुस्मृति का दहन करेंगे और इसी दिन मनुस्मृति के खिलाफ यात्रा निकालेंगे. यह यात्रा 3 जनवरी 2017 को सावित्री बाई फुले जयंती के अवसर पर जयपुर पहुंचेगी. जहां पर मनु की मूर्ति के विरोध में महासम्मेलन और आक्रोश रैली आयोजित होगी.
गौरतलब है कि जिग्नेश मेवाणी नें उना आन्दोलन के दौरान मनु के पुतले के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की घोषणा की थी. जिग्नेश मेवाणी का कहना है कि तमाम प्रगतिशील और अम्बेडकराइट ताकतों को दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक तथा महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होना चाहिये. इसी एकजुटता के निर्माण की दिशा में राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच सक्रिय है. समिति को उम्मीद है की राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग इस महासम्मेलन में शामिल होंगे.
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