Thursday, January 16, 2025
HomeTop Newsमनुस्मृति दहन दिवस पर देश भर के बहुजन संगठनों ने किया कार्यक्रम,...

मनुस्मृति दहन दिवस पर देश भर के बहुजन संगठनों ने किया कार्यक्रम, जलाए काले कानून

मनुस्मृति दहन दिवस (25 दिसंबर) के मौके पर देश भर में बहुजन समाज के संगठनों ने काले कानून का दहन किया। दिल्ली में भीम ज्ञान चर्चा के बैनर तले बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया तो उत्तर प्रदेश, बिहार सहित देश के तमाम राज्यों में इस दिन बहुजन संगठनों ने मनुस्मृति के विरोध में कार्यक्रम आय़ोजित किया। यूपी के मऊ में मनुस्मृति दहन दिवस कार्यक्रम के मौके पर रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव और किसान नेता बलवंत यादव ने कहा कि मनुस्मृति भारत के अतीत का मसला नहीं है, यह वर्तमान का मसला भी है। आज भी भारत में मनुसंहिता पर आधारित वर्ण-जाति व्यवस्था का श्रेणीक्रम पूरी तरह लागू है। भारत में बहुसंख्यकों की नियति आज भी इससे तय होती है कि उन्होंने किस वर्ण-जाति में जन्म लिया है।
वर्तमान लोकसभा में 21 प्रतिशत सवर्णों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व 42.7 प्रतिशत है। ग्रुप-ए के कुल नौकरियों के 66.67 प्रतिशत पर 21 प्रतिशत सवर्णों का कब्जा है। ग्रुप बी के कुल पदों के 61 प्रतिशत पदों पर सवर्ण काबिज हैं। कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में शिक्षक से लेकर प्रिंसिपल-कुलपति तक के पद पर सवर्णों का दबदबा है। न्यायपालिका (हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) में 90 प्रतिशत से अधिक जज सवर्ण हैं। मीडिया भी सवर्णों के कब्जे में ही है। राष्ट्रीय संपदा में सवर्णों की हिस्सदारी 45 प्रतिशत है। कुल भू-संपदा का 41 प्रतिशत सवर्णों के पास है। नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से सवर्ण वर्चस्व और बहुजनों की चौतरफा बेदखली का अभियान बढ़ रहा है।
इस मौके पर बिहार के भागलपुर में कार्यक्रम को संबोधित करते हु डॉ. विलक्षण रविदास ने कहा कि 25 दिसंबर 1927 को डॉ. अंबेडकर ने पहली बार मनुस्मृति में दहन का कार्यक्रम किया था। डॉ. आंबेडकर मनुस्मृति को ब्राह्मणवाद की मूल संहिता मानते थे। उनका कहना था कि भारतीय समाज में जो कानून चल रहा है, वह मनुस्मृति के आधार पर है। सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव और बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के विपिन कुमार ने कहा है कि वर्तमान मोदी राज ‘मनु राज’ का पर्याय बन चुका है। संविधान तोड़ कर मनुविधान थोपा जा रहा है। मनुविधान के आधार पर देश को चलाने के लिए लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। आज के दौर में मनुस्मृति दहन दिवस ज्यादा महत्वपूर्ण हो उठा है।

बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के सोनम राव और मिथिलेश विश्वास ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 सामाजिक न्याय विरोधी-बहुजन विरोधी है। शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देने वाला है। संत रविदास महासभा के महेश अंबेडकर और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम का होना मनुस्मृति के अस्तित्व का प्रमाण है। ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर प्रावधान के साथ ही मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्णों को दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान विरोधी है, मनुवादी वर्ण-जाति व्यवस्था को मजबूत करता है।
अन्य संगठनों में सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) ने भी कार्यक्रम आयोजित किया। भागलपुर जिला के बिहपुर प्रखंड में गौतम कुमार प्रीतम की पहलकदमी से दीपक रविदास, गौरव पासवान, अनुपम आशीष, रूपक यादव, अनुपम रविदास, रविकांत रविदास,दिवाकर दास के नेतृत्व में आज के दिन दर्जन से ज्यादा गांवों में मनुस्मृति दहन दिवस पर कार्यक्रम आयोजित हुआ।

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content