दलित युवक से प्रेम करने वाली मराठा लड़की पहुंची कोर्ट
क़ानून की पढ़ाई करने वाली महाराष्ट्र के पुणे ज़िले की एक छात्रा अपने माता-पिता के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट चली गई है.
छात्रा का आरोप है कि वो किसी दूसरी जाति के युवक से प्रेम करती है और उसे अपने परिवार से ही जान को ख़तरा है.
अंतरजातीय प्रेम विवाह का विरोध कोई नई बात नहीं है.
मशहूर मराठी फ़िल्म सैराट में भी इसी तरह की एक प्रेम कहानी दिखाई गई थी, जिसमें दलित युवक से प्रेम करने वाली युवती की उसके पति के साथ हत्या कर दी जाती है.
मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाली लड़की ने कहा है कि वो मराठा जाति से है और मातंग जाति के युवक से प्यार करती है. उसका हश्र सैराट जैसा न हो इसलिए उसे सुरक्षा दी जाए.
19 साल की इस छात्रा ने अपने और प्रेमी के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग भी की है. मुंबई हाई कोर्ट में इस याचिका पर आज सुनवाई हुई.
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लड़की को सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं और उससे पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा है.
सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से कहा गया की लड़की ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है. वहीं लड़की के अधिवक्ता नितिन सतपुते ने दावा किया है कि लड़की ने लिखित शिकायत पुलिस को दी थी लेकिन पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया था.
लड़की ने ईमेल के ज़रिए भी अपनी शिकायत पुलिस को भेजी थी जिसे स्वीकार नहीं किया गया था.
उनका कहना है कि अगली सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर दायर किए गए झूठे बयान के बारे वो अपना हलफ़नामा पेश करेंगे. अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 मई को होनी है.
अपने माता-पिता के ख़िलाफ़ अदालत पहुंची इस लड़की का मामला महाराष्ट्र में सुर्ख़ियों में है.
अपनी याचिका में युवती ने कहा है कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान तीन साल पहले उसे मातंग समुदाय के युवक से प्रेम हुआ था. तीन महीने पहले इस बारे में परिवार को पता चला गया और तब से ही उसके लिए हालात मुश्किल होते चले गए.
छात्रा ने बीबीसी से कहा, “हमें जान से मारने की धमकियां दी जाने लगीं. मुझे कहा गया कि अगर तुमने इस लड़के से शादी करने के बारे में सोचा तो तुम्हें मार डालेंगे. मेरा मोबाइल फ़ोन छीन लिया गया. मेरा कॉलेज जाना बंद कर दिया. उन्हें दूसरी जाति का लड़का मेरे लिए नहीं चाहिए था.”
छात्रा ने कहा, ”जात के भेदभाव को मैं नहीं मानती. मैंने अपने माता-पिता को समझाने की कोशिश की कि आज के ज़माने में जाति का कोई महत्व नहीं है. लेकिन उन्होंने मेरी कोई बात नहीं सुनी. उल्टे मेरी आज़ादी ही पूरी तरह से छीन ली.”
लड़की ने अपनी याचिका में कहा है कि उसका उत्पीड़न इस क़दर बढ़ गया कि उसने 26 फ़रवरी को आत्महत्या करने का प्रयास भी किया.
इसके बाद वो कुछ समय के लिए अस्पताल में भी भर्ती रही. घर आने के बाद भी उस पर दबाव बनाया जाता रहा.
याचिका के मुताबिक़ 22 मार्च को इस लड़की के चाचा ने सिर पर पिस्तौल रख गोली मारने की धमकी दी और कहा कि उसने ये रिश्ता नहीं तोड़ा तो उसके प्रेमी को भी मार देंगे. लड़की के चाचा पेशे से वकील हैं.
लड़की का आरोप है कि उसकी पिटाई भी की गई. वो घर से बाहर निकलने का मौक़ा तलाश रही थी.
27 मार्च को परिवार के साथ तिरुपति जाते हुए उसे मौक़ा मिल गया और वो फ़रार हो गई. तब से वो अपने घर वापस नहीं लौटी.
उसका कहना है कि उन दोनों ने बालिग़ होते ही तुरंत शादी करने का फ़ैसला किया है पर तब तक उनकी जान को घरवालों से ख़तरा है.
इसलिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की है.
लड़की के घरवालों ने इन सभी आरोपों को नकारा है. इस लड़की के चचेरे भाई ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि उसने मीडिया से जो बातें कही हैं, जो भी उसने अपनी याचिका में कहा है वो सब ग़लत है.
लड़की के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा, “उसका किसी ने भी उत्पीड़न नहीं किया है या उसे पिस्तौल दिखाकर डराया नहीं गया है. उसके माता-पिता ने उसे अच्छे से पढ़ाया लिखाया है और उनका कहना था कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शादी के बारे में सोचेंगे. ये सब होने के बाद उसके माता-पिता भी बहुत दुखी हैं. पर उनका कहना है कि आगे जो होगा ये अब अदालत ही तय करेगी.”
लड़की की ओर से अधिवक्ता नितिन सातपुते हाई कोर्ट में मुक़दमा लड़ रहे हैं.
सातपुते का कहना है, “भारत के संविधान ने भारत के हर नागरिक को अपनी मर्ज़ी से विवाह करने का अधिकार दिया है और इस लड़की की जान को ख़तरा है इसलिए हमने ये याचिका दायर की है. हमारा कहना है कि इस लड़की के माता-पिता और रिश्तेदारों से कोई अपराध न हो इसलिए सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है.”
Read it also-पहाड़ के दलितों को इस परंपरा पर फिर से सोचना होगा

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।