आप टीना डॉबी के लिए उत्साहित होइए. उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया है. यूपी बोर्ड का रिजल्ट भी आ गया है. हाई स्कूल की परीक्षा में रायबरेली की सौम्या पटेल और इंटर में बाराबंकी की साक्षी वर्मा टॉपर रही है. ऐसे ही आईसीएसई बोर्ड की परीक्षा में 96.40 प्रतिशत लाकर अपने क्षेत्र और समाज का नाम रौशन किया है. आप सब इन नामों की सफलता को लेकर गर्व कर सकते हैं. लेकिन मैं इन सारी सफलताओं के लिए माता सावित्रीबाई फुले को सलाम करुंगा, जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर वह राह तैयार की, जिस पर चलकर ये बेटियां इस मुकाम को हासिल कर सकी.
जब ज्योतिबा फुले ने स्त्री शिक्षा की नींव रखी होगी और माता सावित्रीबाई फुले लोगों के ताने सुनकर, खुद पर कीचड़ फेके जाने के बावजूद लड़कियों को पढ़ाने जाती होंगी तो उनके मन में बस इतनी सी बात होगी कि स्त्रियों को कुछ ज्ञान मिल जाए. तब उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी कि एक वक्त ऐसा भी आएगा जब लगातार दो साल ये लड़कियां यूपीएससी की परीक्षा में टॉपर होंगी. जिन लड़कियों का नाम ऊपर लिया गया है, उनमें से कितनी लड़कियां फुले दंपत्ति के योगदान को जानती होगी ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन अगर जानती भी होंगी तो उनके लिए उस दर्द और त्याग को महसूस कर पाना शायद संभव नहीं होगा, जिसने उनकी सफलता की नींव रखी है. और टॉपर करने वाली कोई लड़की जब वंचित तबके की हो तब तो इसका महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि फुले दंपत्ति जब संघर्ष कर रहे होंगे तब वह यह जरूर सोचते होंगे कि उनका संघर्ष उसी दिन पूरा होगा जब वंचित तबके से ताल्लुक रखने वाली कोई लड़की शीर्ष मुकाम को हासिल कर लेगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि आज ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले का सपना साकार हो गया है.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।