नई दिल्ली। मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. वे सदन में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पाने से नाराज थीं. उन्होंने कहा था- ”अगर मैं सदन में दलितों के हितों की बात नहीं उठा सकती तो मेरे राज्यसभा में रहने पर लानत है. मैं अपने समाज की रक्षा नहीं कर पा रही हूं. अगर मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं है. मैं सदन की सदस्यता से आज ही इस्तीफा दे रही हूं.’’इसके बाद मायावती राज्यसभा से बाहर चली गईं.
बसपा के सतीशचंद्र मिश्रा मायावती के साथ राज्यसभा से बाहर गए. इसके बाद बसपा के सदस्यों ने ‘दलितों की हत्याएं बंद करो’ के नारे लगाए. समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी उनका साथ दिया.उनके सपोर्ट में कांग्रेस और तृणमूल सांसदों ने भी वॉकआउट कर दिया. मायावती का समर्थन कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने सवाल किया?, ‘एक दलित नेता को बोलने का अधिकार नहीं है? उन्होंने हाउस में नोटिस देकर बात करने का प्रयास किया.’ दरअसल, मायावती को तीन मिनट का वक्त मिला था. उन्होंने सात मिनट लिए. इसके बाद उनकी उपसभापति से बहस हुई.
इससे पहले, राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान मायावती ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि उन्हें वहां न तो सुना जा रहा है और न ही बोलने दिया जा रहा है इसलिए उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है. मायावती ने कहा कि सहारनपुर में हिंसा को जातीय हिंसा का नाम दिया गया है, जबकि यह दलितों को डराने-धमकाने की कार्रवाई थी. इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शोरगुल शुरू कर दिया.

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