रविवार 10 जुलाई को लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी. इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि सब रो पड़े. असल में ठीक एक दिन पहले ही 9 जुलाई को बसपा प्रमुख मायावती के छोटे भाई टीटू (सुभाष जी) की मौत हो गई थी. वह लंबे समय से बीमार थे. जिसके बाद 9 जुलाई की शाम को दिल्ली के मेट्रो अस्पताल में उनका निधन हो गया. बावजूद इसके मायावती जी ने 10 जुलाई को लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम को रद्द नहीं किया.
लखनऊ में जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो वहां मौजूद सारे पदाधिकारियों की सहानुभूति भरी निगाह बहन जी की ओर थी. लेकिन मायावती के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वह अपने तेवर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के चुनाव की समीक्षा में व्यस्त थीं. वह हर पदाधिकारी और को-आर्डिनेटर से उनके क्षेत्र का हाल पूछती रहीं. उन्हें काम करने को लेकर चेताती रहीं. चुनाव की तैयारियों में जुटे रहने और समाज के बीच काम करने को कहती रहीं. और जब उन्होंने सबसे बात कर ली तो आखिरकार भाई की मौत का दर्द उनकी जुबान और आंखों में भी छलक आया. बैठक का अंत मार्मिक हो गया. उन्होंने जो कहा उसने उस बैठक में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दी. सारी समीक्षा करने के बाद उन्होंने आखिर में कहा, आप सबको मालूम ही होगा कि मेरे छोटे भाई टीटू की मौत हो गई है. उसकी लाश घर पर रखी है. इसकी जानकारी मुझे मिल गई थी, लेकिन मैंने आप सभी को बैठक के लिए बुला रखा था और मेरे लिए पार्टी और मिशन पहले है, परिवार बाद में. मेरे आदर्श बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के बेटे की जब मौत हुई थी तो उन्हें पूना पैक्ट के लिए जाना था और वह पूना पैक्ट में गए. मेरे सामने भी चुनौती थी, लेकिन मेरा मिशन और बाबासाहेब का सपना मेरे लिए ज्यादा अहम था.
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