गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में सपा-बसपा गठबंधन को मिली जीत के बाद देश की राजनीतिक फिजां बदलने लगी है. वैसे तो भाजपा को मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार उपचुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा था, लेकिन यूपी की हार सिर्फ दो सीटों की हार नहीं थी. असल में गोरखपुर और फूलपुर की हार भाजपा के किले के दरकने जैसा है. पिछले तीन दशक से पूर्वांचल का सबसे मजबूत गढ़ बने गोरखपुर की हार भाजपा के एक मजबूत किले के ढहने जैसा है. गोरखपुर और फूलपुर देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की हार है. भाजपा को मिली इस हार के पीछे सबसे बड़ा कारण बहुजन समाज पार्टी और इसकी मुखिया मायावती बन कर उभरी हैं.
भाजपा की हार के बाद उनके बयान से विपक्षी दलों की सुगबुगाहट तेज हो गई है. गोरखपुर और फूलपुर की जीत के बाद कुमारी मायावती ने कहा कि उन्होंने भाजपा को सबक सिखाने के लिए सपा को समर्थन दिया था. साथ ही उनका यह बयान भी चर्चा में है कि भाजपा के खिलाफ समूचे विपक्ष को साथ आना चाहिए. बसपा प्रमुख के इस बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि मायावती 2019 चुनाव के केंद्र में रहेंगी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस तरह से मायावती को लेकर अपनी रुचि दिखाई है, उससे यह भी लग रहा है कि सपा को मायावती को आगे रखकर चुनाव लड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
भाजपा को हराने के लिए जिस तरह से विपक्ष गोलबंद हो रहा है उसमें बसपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. अब तक गठबंधन की राजनीति से दूर रही बसपा का नजरिया भी अब गठबंधन की राजनीति को लेकर बदलने लगा है. 15 मार्च को चंडीगढ़ की रैली में भी मायावती ने गठबंधन की राजनीति का संकेत दे दिया है. ऐसे में अगर राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन होता है तो मायावती एक महत्वपूर्ण फैक्टर बनकर सामने आएंगी. कांग्रेस के अलावा तमाम विपक्षी दलों में मायावती इकलौती ऐसी नेता और बहुजन समाज पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसके समर्थक देश भर में हैं. और वह हर प्रदेश में सहयोगी पार्टी को अपना वोट ट्रांसफर करवाने में सक्षम है.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।
Neetish/Rahul/Ya anya koi kee jagah agar Mayawati ko pradhanmantri banane kee koshish kee jaye to gareeb brahmin samaj bhee Mayawati ko vote karega. Aisa mera mat hai.