
नई दिल्ली। मॉब लिंचिंग की आए दिन हो रही घटनाओं पर बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. मायावती ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए संसद के इसी सत्र में इसके खिलाफ कानून बनाने की मांग की है. पार्टी की ओर से जारी अपने बयान में बसपा प्रमुख ने कहा है कि हिंसक भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्या की खुली छूट दे दी गई है, जिससे देश का लोकतंत्र अब भीड़तंत्र में बदल गया है. अपने बयान में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने देश भर में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी समाज के लोगों पर बढ़ते अत्याचार का भी मुद्दा उठाया.
बसपा प्रमुख ने गोरक्षा के नाम पर राजस्थान के अलवर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना की निंदा की है. उन्होंने इस मामले में केंद्र और राजस्थान की सरकार से कड़ी कार्रवई करने की मांग की. इस तरह की घटनाओं पर भाजपा नेताओं के विवादित बयान और ऐसे मामले में ज्यादातर भाजपा के घोषित कार्यकर्ताओं के शामिल होने पर भी बसपा प्रमुख ने भाजपा को कठघरे में खड़ा किया. मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर भाजपा नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि इसका साफ मतलब है कि ऐसी घटनाओं को भाजपा नेताओं का समर्थन है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि “देश की आमजनता को इस बारे में सोचना होगा कि वे ऐसी संकीर्ण व ग़लत सोच के आधार पर काम करने वाली सरकार को क्यों चुने जिसमें किसी का भी जान-माल, मज़हब और साथ ही देशहित कुछ भी क़तई सुरक्षित नहीं है. इस मामले में उन्होंने बी.एस.पी. के संस्थापक मान्यवर कांशीराम की उस बात को भी याद किया कि वर्तमान हालातों में अपने देश में ‘मज़बूत’ नहीं बल्कि ‘मजबूर’सरकार की ज़रूरत है. ताकि उस पर जनहित और देशहित में लगातार काम करते रहने के लिए तलवार लटकी रहे और वह निरंकुश व तानाशाही का व्यवहार नहीं कर सके जैसा कि ख़ासकर आजकल बीजेपी के वर्तमान शासनकाल में देखने को मिल रहा है.”
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