बहुजन समाज पार्टी की दिल्ली यूनिट की ओर से 4 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यकर्ता सम्मेलन को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने संबोधित किया. इस दौरान मायावती ने तमाम मुद्दों पर दिल्ली के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इसमें हर बार की तरह मायावती ने बाबासाहेब और मान्यवर कांशीराम के सपने और राजनीति का जिक्र किया. साथ ही राज्यसभा से इस्तीफा देने के कारणों को लेकर एक बार फिर चर्चा की.
कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने खास कर तीन नई बातें कहीं. उन्होंने पहली बार विपक्षी दलों में मौजूद दलित नेताओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भाजपा में बैठे दलित और ओबीसी नेता असल में बंधुआ मजदूर हैं. दलित ओबीसी नेताओं पर तंज कसते हुए मायावती ने कहा कि विरोधी पार्टियां दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के नेताओं को भले ही कितना भी महत्पूर्ण पद क्यों न दे दें वो वहां बंधुआ मजदूर ही रहेंगे.
जो दूसरी बात है, वह यह रही कि मायावती ने दिल्ली के उपचुनाव को लड़ने की घोषणा की, जिसका सभी कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर स्वागत किया. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद दिल्ली में उपचुनाव की संभावना तेज हो गई है. ऐसे में आमतौर पर उप चुनावों से दूर रहने वाली बसपा की मुखिया मायावती ने कहा कि वह इस उपचुनाव में अपने कैंडिडेट उतारेंगी. इस कार्यकर्ता सम्मेलन की तीसरी महत्वपूर्ण बात यह रही कि बसपा प्रमुख ने अपने उपर पैसे लेने के इल्जाम को फिर से नकारा. उन्होंने विस्तार से यह बताया कि आखिर बसपा कार्यकर्ताओं से पैसे क्यों लेती है.
हालांकि इस कार्यकर्ता सम्मेलन में दो और बातें कही जा सकती थी. लगभग एक घंटे के भाषण में मायावती ने 25वें मिनट में बजट पर चर्चा की. हालांकि वो बजट को लेकर सरकार को घेरने से चूक गईं. बजट में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के हक को लेकर वह सरकार को घेर सकती थीं. तो वहीं सम्मेलन में बहुजन समाज के तमाम युवा मौजूद थे. बसपा प्रमुख ने एक बार भी उन युवाओं को सीधे संबोधित नहीं किया. अगर वो युवाओं का आवाह्न करतीं तो जाहिर सी बात है कि इससे एक बड़ा मैसेज जाता और युवा वहां से ऊर्जा लेकर जातें.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।