लखनऊ। निकाय चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी और इसकी मुखिया मायावती गंभीर दिखाई दे रही हैं. शायद यही वजह है कि इन दिनों बसपा अध्यक्ष ने लखनऊ में अपना डेरा जमा लिया है. बीएसपी विगत दो दशक में पहली बार यूपी में निकाय चुनाव में पार्टी सिंबल पर उम्मीदवार उतारने जा रही है. खबर है कि मायावती इस बार लखनऊ में ही कैंप करेंगी और चुनावी तैयारियों एवं उम्मीदवारों के चयन पर पूरी नजर रखेंगी.
मायावती इन दिनों राजधानी लखनऊ में डटी हुई हैं और लगातार जोन और डिविजन स्तर के कार्यकर्ताओं से मीटिंग कर रही हैं. एक सीनियर बीएसपी नेता के मुताबिक हालांकि बीएसपी का बेस शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा मजूबत है, लेकिन शहरी इलाकों में अपने आधार को बढ़ाने के लिए पार्टी ने निकाय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. हम पूरी तैयारी के साथ उतरने वाले हैं और कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
ऐसे में इस माह के अंत में प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव इन पार्टियों के लिए अपने खोए जनाधार को दोबारा हासिल करने का मौका होने के साथ-साथ चुनौती भी है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहे जा रहे इस चुनाव में मिली जीत जहां इन पार्टियों को सूबे में उम्मीद की किरण मुहैया कराएगी, वहीं एक और नाकामी उनके मनोबल पर गहरा असर डाल सकती है.
नगरीय निकाय चुनाव को बसपा किस कदर गंभीर मान रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी निकाय चुनाव प्रचार के लिए बसपा के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा, राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ, पूर्व मंत्री नकुल दुबे, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री अनन्त मिश्रा तथा शमसुद्दीन राइन जैसे दिग्गज नेताओं को उतारने जा रही है.

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