भारत के पंद्रहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तमाम नेताओं के शिष्टाचार मुलाकात का सिलसिला जारी है। ऐसे में 29 अगस्त को तब अनोखा संयोग बना जब बसपा प्रमुख सुश्री मायावती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात करने राष्ट्रपति भवन पहुंची। बहनजी ने राष्ट्रपति महोदया से मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर इसकी जानकारी दी है। इस दौरान बहनजी ने राष्ट्रपति मुर्मु को लेकर बड़ा बयान दिया है।
मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए उन्होंने लिखा- माननीया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से राष्ट्रपति भवन में आज काफी अच्छी मुलाकात हुई। अनुसूचित जनजाति समाज से ताल्लुक रखने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने पर उनसे मिलकर उन्हें औपचारिक तौर पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। वे समाज व देश का नाम रौशन करें, यही कामना।
बहनजी ने राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र करते हुए लिखा- वैसे तो बीएसपी व अन्य पार्टियों ने भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उन्हें अपना समर्थन दिया और वे भारी मतों से विजयी हुई, किन्तु अगर थोड़ा और सही व सार्थक प्रयास किया गया होता तो वे सर्वसम्मति से यह चुनाव जीत कर एक और नया इतिहास ज़रूर बनातीं। देश को उनसे बहुत सारी आशाएं।
इस मुलाकात की तस्वीर सामने आने के बाद तमाम लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बहुजन समाज के चिंतक एवं जाने-माने समाजशास्त्री प्रो. विवेक कुमार ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा- <iframe
दो बहुजन महिलायें राष्ट्रपति भवन में।
यह चित्र अपने आप में भारतीय बहुजन महिलाओं की लम्बी यात्रा के इतिहास को बयां करता है। साथ ही भारतीय संविधान की ताकत को भी। यह भारतीय प्रजातंत्र में एक ऐतिहासिक एवं सुखद क्षण है, व्यक्तित्यों के तुलनात्मक अध्यन का नहीं है। अगर हम केवल ऐतिहासिक काल-खंड को भारतीय संविधान एवं उसमें प्रजातान्त्रिक मूल्यों के माध्यम से परिवर्तन को समझने का प्रयास करें तो हमें नवीन दिशा मिल सकती है।
निश्चित तौर पर देश की दो दिग्गज महिलाओं को एक साथ देखना अपने आप में ऐतिहासिक है। खासतौर पर ऐसी महिलाओं का जिसमें एक भारत गणराज्य की माननीय राष्ट्रपति हैं, जबकि दूसरी देश की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हों। और दोनों समाज की सबसे वंचित जाति से संबंध रखती हों, अपने आप में दुर्लभ क्षण है।
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