नागपुर। नागपुर में 10 दिसंबर को बसपा प्रमुख मायावती बहुजन नायकों की धरती नागपुर में थी. इस रैली में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान बसपा प्रमुख ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने भी हिन्दू कोड बिल लागू नहीं होने पर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, इसी तरह मैंने भी सहारनपुर में अपने समाज के लोगों के साथ अन्याय होने पर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.
महाराष्ट्र औऱ खासकर विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि उनके चार बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान उत्तर प्रदेश में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की जबकि भाजपा के कार्यकाल में किसानों के आत्महत्याओं में काफी इजाफा हुआ है और विदर्भ में तो यह प्रमाण सबसे ज्यादा है.
राम मंदिर बनाने को भाजपा का एजेंडा बताते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर बनने से बहुजन समाज की समस्या का समाधान होने वाला नहीं है. बहुजनों के असली भगवान बाबासाहेब हैं और कोई नहीं. क्योंकि बहुजनों को उनके अधिकार संविधान में बाबासाहेब ने दिलाया. अगर उन अधिकारों को सही तरीके से लागू करना है तो बहुजन समाज पार्टी की सरकार आना बहुत जरूरी है.
एक बार फिर बौद्ध धर्म की ओर जाने की बात कहते हुए कहा कि मायावती ने कहा कि हिन्दू धर्म में बहुजन समाज के लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है तथा जातिवादी मानसिकता के तहत उनका बड़े पैमाने पर ऊत्पीड़न हो रहा है. यदि यह नहीं रूकता है तो मैं भी बाबासाहेब के राह पर चलते हुए हुए सामुदायिक रूप से बौद्ध धर्म को जरूर अपना लूंगी.
मायावती ने देश के अनेक राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा 2019 में होनेवाले लोकसभा के चुनावों में बीजेपी को सत्ता से बाहर कर बहुजन समाज की सत्ता निर्माण करने के लिए 85% बहुजन समाज को एकजुट करने का आव्हान किया.
नागपुर में हुए अधिवेशन के बाद जाहिर है कि महाराष्ट्र में बसपा कार्यकर्ताओं का काफी उत्साह बढ़ा है. तो वहीं बाबासाहेब की धरती से एक बार फिर सामूहिक रूप से बौद्ध धर्म में जाने की बात कह कर हिन्दू धर्म को ढोने वालों के कान फिर से खड़े कर दिए हैं.

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