नए कृषि बिल के खिलाफ किसानों के आंदोलन को बसपा प्रमुख मायावती लगातार समर्थन दे रही हैं। किसानों के आंदोलन को बहनजी न सिर्फ लगातार समर्थन दे रही हैं, बल्कि इस मुद्दे पर लगातार किसानों के पक्ष में मुखर हैं। हाल ही में 19 दिसंबर को बसपा प्रमुख ने एक ट्विट कर फिर से इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। बहनजी ने अपने बयान में कहा, “बसपा यह मांग करती है कि केन्द्र की सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आन्दोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी माँगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए।”
केन्द्र की सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आन्दोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी माँगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए, बीएसपी की यह माँग।
— Mayawati (@Mayawati) December 19, 2020
इससे पहले 7 दिसंबर को भी बहनजी ने कृषि कानून को लेकर किसानों के साथ अपनी सहमति जताई थी। और 8 दिसंबर को किसानों द्वारा किये गए भारत बंद को अपना समर्थन दिया था। 7 दिसंबर को किए अपने ट्विट में बहनजी ने कहा था,
“कृषि से सम्बंधित तीन नये कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश भर में किसान आन्दोलित हैं व उनके संगठनों ने दिनांक 8 दिसम्बर को ’’भारत बंद’’ का जो एलान किया है, बी.एस.पी उसका समर्थन करती है। साथ ही, केन्द्र से किसानों की माँगों को मानने की भी पुनः अपील करती है।”
किसानों के आंदोलन को लेकर बसपा प्रमुख ने शुरुआती ट्विट 29 नवंबर को किया था, जिसमें उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा था। बहनजी ने कहा था,
“केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।”
दरअसल किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों के साथ बसपा लगतार खड़ी है। बसपा प्रमुख न सिर्फ आंदोलन के हर दिन की प्रगति को देख रही हैं, बल्कि अपना पक्ष भी रख रही हैं। बसपा अपने शासनकाल में भी किसानों के मुद्दों को लेकर काफी संवेदनशील रही हैं। बसपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश में किसानों की स्थिति काफी बेहतर थी। गन्ना किसानों को जो मूल्य दिया गया था, वह आज भी एक रिकार्ड है तो वहीं बहन मायावती के नेतृत्व वाले बसपा शासनकाल में भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को देश में सबसे ज्यादा पैदावार के लिए मेडल दिया। अनाज उत्पादन में प्रदेश नंबर वन रहा था।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।