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नई दिल्ली। चुनावी रैलियों और मीडिया के बीच जाने से चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए 48 घंटे की रोक के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 15 अप्रैल को चुनावी कार्यक्रम खत्म कर लखनऊ पहुंची मायावती देर रात चुनाव आयोग पर जमकर बरसीं और आयोग के फैसले को भाजपा के दबाव में लिया गया जातिवादी फैसला कहा. बसपा प्रमुख ने चुनाव आयोग पर मोदी और अमित शाह को खुली छूट देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग ने कारण बताओ नोटिस में कहीं नहीं लिखा था कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने बिना मेरा पक्ष सुने मुझ पर बैन लगा दिया. जबकि मोदी और अमित शाह को खुली छूट दे रखी है. नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग अब तक कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है जबकि वे लोग बार-बार पाबंदी के बावजूद धर्म के साथ-साथ सेना का भी लगातार चुनावी स्वार्थ के लिए राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं. यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है. यह आदेश भारत निर्वाचन आयोग के इतिहास में हमेशा के लिये एक काला दिवस के रूप में ही जाना जायेगा.
गौरतलब है कि आयोग ने मायावती के देवबंद में दिए जिस भाषण को आधार बनाकर उन पर बैन लगाया है, उसके बारे में बसपा प्रमुख ने कहा कि देवबन्द में बीजेपी को हराने के लिए की गई अपील ना तो धार्मिक आधार पर थी और ना दो धर्मों के बीच नफरत फैलाने के लिए, क्योंकि गठबंधन के साथ-साथ कांग्रेस का भी उम्मीदवार मुस्लिम ही है. बसपा प्रमुख पर 16 अप्रैल की सुबह 6 बजे से बैन लगा है जो 17 अप्रैल को पूरे दिन और रात जारी रहेगा.
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को मायावती को आगरा में गठबंधन के अन्य नेताओं के साथ संयुक्त रैली को संबोधित करना था, लेकिन आयोग के बैन के कारण मायावती संयुक्त रैली को संबोधित नहीं कर पाएंगी. इसको देखते हुए बसपा प्रमुख ने आगरा और फतेहपुर की जनता से इसका बदला भाजपा को हरा कर लेने की अपील की.
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