आरक्षण मुद्दे पर फुल फॉर्म में बसपा सुप्रीमो, सरकार से लेकर विपक्ष को ललकारा

सुश्री मायावतीअमूमन यह कम होता है कि बसपा प्रमुख मायावती बार-बार मीडिया के सामने आएं। लेकिन आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर उठे बवाल के बीच बसपा सुप्रीमों फुल फार्म में हैं। 4 अगस्त को मीडिया को संबोधित करने और प्रधानमंत्री एवं सरकार से संसद सत्र के दौरान बिल को पास करने की मांग करने वाली बहनजी 10 अगस्त को फिर मीडिया के सामने आईं। तेवर सख्त थे तो सरकार और आवाम दोनों को साफ संदेश था।

लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्‍वासन देने भर से काम नहीं चलेगा। केंद्र सरकार को संसद का सत्र बुलाकर अनुसूचित जाति/जनजाति और क्रीमीलेयर मामले में आरक्षण की स्थिति साफ करनी चाहिए। मायावती ने आरोप लगाया कि इस मामले में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की। प्रधानमंत्री की नीयत अगर साफ है तो संसद का सत्र समय से पहले स्‍थगित नहीं करना चाहिए। विशेष सत्र बुलाना चाहिए।

कांग्रेस और भाजपा पर एक साथ हमला बोलते हुए बहनजी ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस आरक्षण के खिलाफ हैं। क्रीमीलेयर के बहाने आरक्षण खत्‍म करने की कोशिश की जा रही है। इनकी सरकारों में नौकरियों को खत्‍म कर संविदा पर तैनाती आरक्षण खत्‍म करने की ही कोशिश है। प्रेस कांफ्रेस में बसपा सुप्रीमों ने सभी राजनीतिक दलों को कठघरे में खड़ा किया और कहा कि सभी राजनीतिक दलों को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

अपने समर्थकों और एससी-एसटी समाज से अपील करते हुए बसपा प्रमुख ने लोगों से आरक्षण के मुद्दे को लेकर एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि अगर अब आवाज नहीं उठाई तो हमेशा के लिए आरक्षण से वंचित रहना पड़ेगा। देश की दिग्गज नेता ने राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना की भी मांग उठाई।

साफ है कि आरक्षण के मुद्दे ने बहुजन समाज पार्टी और उसकी मुखिया मायावती को बड़ा मौका दे दिया है। वह इस मुद्दे के जरिये जहां सीधे अपने खोए हुए जनाधार से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं तो वहीं, दलित समाज को एकजुट होने का संदेश देकर उन्होंने साफ कर दिया है कि बसपा इस मुददे का नेतृत्व करने और सरकार से लड़ने के लिए तैयार है।

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