नई दिल्ली। राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान आज बसपा प्रमुख मायावती भड़क गईं और उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा तक देने की पेशकश कर दी. असल में हुआ यूं कि बसपा प्रमुख ने राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होते ही सहारनपुर की अपनी यात्रा का मुद्दा उठाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सहारनपुर जाने के दौरान कई दिक्क्तों का सामना करना पड़ा. उन्हें वहां हैलीकॉप्टर से जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिसकी वजह से उन्हें गाड़ी से जाना पड़ा जिसमें कई घंटे लगे. सरकार ने उनकी सुरक्षा की भी अनदेखी की.
मायावती जब अपनी बात रख रही थीं तो राज्यसभा के उप सभापति ने उन्हें बोलने से रोका और उनकी अनदेखी की. बस फिर क्या था, बसपा प्रमुख ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें वहां न तो सुना जा रहा है और न ही बोलने दिया जा रहा है. इसके बाद हंगामा होने लगा और मायावती ने उपसभापति को कहा कि आप मुझे बोलने नहीं देंगे तो मैं सदन से इस्तीफा दे देती हूं. वह गुस्से में राज्यसभा से वॉक आउट कर गई. मायावती के समर्थन में कांग्रेस के सांसदों ने भी वॉक आउट कर दिया.
संसद कैंपस में मीडिया से बात करते हुए बहनजी ने राज्यसभा से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी. मायावती ने कहा की सहारनपुर घटना केंद्र की साजिश थी. BSP सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहा है. सरकार दलितों को बाबा साहब के नाम पर गुमराह कर रही है और दलितों के नाम पर नौटंकी कर रही है. मैं आज ही इस्तीफा दे दूंगी.
यहां क्लिक कर वीडियों में देखिए मायावती ने और क्या कहा.
मायावती ने यह भी कहा जब वो सहारनपुर में दलितों से मिलने गई और उनकी मदद करने की कोशिश की तो वहां के DM/SDM ने उनको मना कर दिया. और बड़े पैमाने पर दलितों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने इस्तीफे की भी धमकी दी और कहा कि अगर मेरी बात नहीं सुनी गयी तो मैं इस्तीफ़ा दे दूंगी.
मायावती ने राज्य सभा में सहारनपुर हिंसा को दलित कांड बताया और कहा कि यह बीजेपी की साजिश है. उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार पर घटना पर पर्दा डालने का आरोप लगाया.
सीताराम येचुरी ने सरकार पर विपक्ष की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया. राज्यसभा में सरकार पर दलित-विरोधी होने का विपक्ष ने लगाया नारा. इस बीच हंगामे के बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।