मेरठ। सहारनपुर के शब्बीरपुर मामले पर राज्यसभा से इस्तीफा देने और उसके बाद 18 सितंबर से प्रदेश भर में कार्यकर्ता सम्मेलन का ऐलान करने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने अपने कार्यक्रम में बदलाव कर दिया है. पहले दो मंडलों को मिलाकर एक रैली की घोषणा करने वाली बसपा ने इसे बदलते हुए अब तीन मंडल पर एक रैली कर दिया है. इसी के साथ अब 18 सितंबर को मेरठ में होने वाली रैली में मेरठ, सहारनुपर और मुरादाबाद के कार्यकर्ता शामिल होंगे. पार्टी का मानना है कि कुल नौ रैली में नौ महीने लगते, जो काफी लंबा वक्त हो जाता. इस बदलाव से अब नौ की जगह कुल छह रैली होगी. दो रैलियों के बीच महीने भर के अंतर को भी घटाया जा सकता है. हालांकि मेरठ की रैली के बाद आगे की रैलियों का कार्यक्रम तय होने की खबर है.
असल में बसपा प्रमुख मायावती द्वारा ऐसा करने के पीछे शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है. बीएसपी सूत्रों की मानें तो रणनीति में बदलाव कर बसपा… गैर बीजेपी दलों को अपनी ताकत दिखाना चाहती है. लालू यादव द्वारा पटना में बुलाई गई रैली के पहले मायावती ने साफ किया था कि गठबंधन बनने से पहले सीटों का बंटवारा जरूरी है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीएसपी का प्लान अपना जनाधार दिखाकर दूसरे दलों से ज्यादा सीट हासिल करने का है.
इस सम्मेलन से जुड़ी एक खबर यह भी आ रही है कि इसमें बसपा प्रमुख मायावती का निशाना केंद्र और यूपी सरकार दोनों पर रहेगा. और इसके जरिए चुनावी समीकरण साधे जाएंगे. खबर है कि सम्मेलन में दलित, मुस्लिम और किसानों से जुड़े मुद्दे के अलावा मायावती तमाम केंद्रीय मुद्दों को भी उठाएंगी.
मेरठ में होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन के प्रभारी मुनकाद अली तीनों मंडलों के पार्टी पदाधिकारियों और प्रमुख लोगों के साथ रैली की तैयारियों में जुट गए हैं. पहले सम्मेलन में ढाई से तीन लाख कार्यकर्ताओं के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अब रैली के दो मंडलों की बजाए तीन मंडलों के कार्यकर्ताओं के शामिल होने पर इस टारगेट को 5 लाख कर दिया गया है.
देखना होगा कि इस बदली रणनीति के साथ बसपा अपनी इन रैलियों के जरिए केंद्र और अन्य विपक्षी पार्टियों को क्या संदेश दे पाती है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।