48 घंटे के बैन पर बसपा प्रमुख मायावती द्वारा जारी बयान

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार के लिए 48 घंटे की रोक के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने आयोग पर हमला बोल दिया है। इस पाबन्दी के कारण मायावती 16 अप्रैल को आगरा में आयोजित गठबंधन की संयुक्त रैली में भाग नहीं ले पायेंगी। आयोग के इस फैसले के बाद 15 अप्रैल को अलीगढ़ व अमरोहा में चुनावी जनसभाओं को सम्बोधित करने के बाद वापस लखनऊ लौटी बसपा प्रमुख मायावती ने रात 9.00 बजे प्रदेश के बसपा कार्यालय पर एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। साथ ही उन्होंने आगरा की जनता से बसपा उम्मीदवार मनोज सोनी को जीताकर इसका बदला लेने की भी अपील की।

हम यहां बहुजन समाज पार्टी द्वारा जारी प्रमुख मायावती के प्रेस कांफ्रेंस को हू-ब-हू दे रहे हैं। मायावती ने अपने प्रेस कांफ्रेस मे कहा कि –

इस आदेश में चुनाव आयोग ने कहा है कि हमने अपने भाषण दिनांक 7 अप्रैल 2019, जो कि देवबन्द, सहारनपुर में दिया गया था, उसमें मैंने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है और इसलिये चुनाव आयोग हमारे इस कार्य की कड़ी निन्दा करता है तथा प्रतिबन्धित करता है और चुनाव आयोग संविधान के आर्टिकल 324 के अन्तर्गत दिये गये अधिकार का उपयोग करते हुये यह निर्देश देता है कि 16 अप्रैल 2019 की प्रातः 6 बजे से लेकर, अगले 48 घन्टे तक कोई भी पब्लिक मीटिंग, पब्लिक रैली, रोड शो, इन्टरव्यू तथा मीडिया आदि से पब्लिक में बात करने, चाहे वह चैनल, प्रिन्ट या सोशल मीडिया हो रोका जाता है।

उक्त आदेश में यह कहा गया है कि मुझे देवबन्द, सहारनपुर में दिये गये भाषण के सम्बन्ध में 11 अप्रैल 2019 को एक शोकाज नोटिस दिया गया था जिसका कि जवाब मैने 24 घन्टे के भीतर 12 अप्रैल 2019 को दे दिया था। आदेश में यह कहा गया है कि हमारे जवाब को देखा और पढ़ा तथा भाषण का वीडियो भी देखा, जिसको देखने के बाद कमीशन संतुष्ट है कि मैने बहुत ही अति भड़काऊ भाषण दिया है, जिसका भाव एवं मंशा ऐसी थी जिससे कि जो पहले से मौजूद आपसी नफरत अलग अलग धार्मिक समुदायों के बीच में मौजूद है, उसे और भड़काने के उद्देश्य से दिया गया है। जोकि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इसी आदेश में कमीशन द्वारा यह भी कहा गया है कि मुझे इस तरह के भाषण जिसमेे कि ऐसी क्षमता हो कि चुनाव में वोट एकतरफा हो जाये, नहीं देना चाहिये था।

इस सम्बन्ध में, मैं मीडिया बन्धुओं को यह भी बताना चाहूँगी कि आयोग द्वारा 11 अप्रैल 2019 की कारण बताओ नोटिस में कहीं भी यह आरोप नहीं लगाया गया था कि हमने कोई भड़काऊ भाषण दिया था, जिसकी वजह से विभिन्न समुदायों के बीच में पहले से चल रही नफरत और बढ़ जायेगी। कारण बताओ नोटिस में सिर्फ और सिर्फ एक ही आरोप लगाया गया था कि हम किसी एक समाज के नाम से वोट मांग रहे हैं। कारण बताओ नोटिस के जवाब में मैने स्पष्ट कर दिया था कि हमने अपने भाषण में कहंी भी जाति व धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा है। बल्कि मैने स्पष्ट रूप से सभी वर्गों एवं धर्मों के लागों से गठबन्धन के प्रत्याशियों को वोट देनें की अपील की थी और मुस्लिम समाज से खासतौर से अपील की थी कि आप अपना वोट किसी नातेदार, रिश्तेदार के चक्कर में पड़कर बंटने न दें, जिसका कि यह स्पष्ट मंशा थी एवं एक ही निष्कर्ष निकलता है कि मुसलमानों को धार्मिक आधार पर या रिश्तेदारों और नातेदारों के चक्कर में पड़कर अपना वोट नहीं बांटना चाहिये और अपना वोट एकतरफा गठबन्धन के प्रत्याशी को देकर बीजेपी को हराना चाहिये।

कारण बताओ नोटिस के जवाब में मैंने ऊपर लिखी बात को पुनः स्पष्ट किया था कि पूरे भाषण में मैंने कहीं भी किसी प्रकार से धार्मिक भावनाओं को भड़काया नहीं है और न हीं किसी धर्म के प्रति कोई बयान दिया है। अपने जवाब में, मैंने यह भी लिखा कि भाषण की कोई सी डी मुझे उपलब्ध नहीं करायी गयी है तथा यह अनुरोध किया था कि पूरे भाषण को सुना जाये, जिससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि मैने किसी एक समाज व धर्म के लोगों से वोट नहीं मांगा है बल्कि सर्वसमाज से वोट देने की अपील की है। इन सभी बातों को पूर्णरूप से नजर अंदाज करके आज चुनाव आयोग ने दोपहर बाद अचानक एक आदेश दे करके दिनांक 16 अप्रैल 2019 यानी की कल सुबह 6 बजे से हमारे ऊपर 48 घन्टे का हर प्रकार का प्रतिबन्ध लगा दिया है, जिसके अन्तर्गत डा0 बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान में जो इस देश के हर नागरिक को एक मूलभूत अधिकार अनुच्छेद 19 मे दिया गया है, उससे हमें वंचित किया जा रहा है, और वह भी बगैर किसी व्यक्तिगत सुनवाई के तथा बगैर कोई साक्ष्य सीडी वगैरह दिये हुये। संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा स्पष्ट रूप से हर नागरिक को मलभूत अधिकार दिया गया है कि उसको कहीं भी आने जाने से तथा अपनी बात रखने से वंचित नहीं किया जा सकता है।

परन्तु यहाँ भारत निर्वाचन आयोग द्वारा एक ऐसा अभूतपूर्व आदेश पारित किया गया है, जिसके तहत संविधान में दिये गये इन मूलभूत अधिकारों से मुझे पूर्ण रूप से गलत आधारों पर बगैर किसी सुनवाई के असंवैधानिक तरीके से तथा क्रूरतापूर्वक वंचित कर दिया गया है। यह आदेश भारत निर्वाचन आयोग के इतिहास में हमेशा के लिये एक काला दिवस के रूप में ही जाना जायेगा। जल्दबाजी में लिये हुये इस निर्णय को जो कि स्पष्ट तौर पर किसी दबाव में आकर लिया गया ही प्रतीत होता है इसको इस देश का गरीब, मजूलम, असहाय शोषित एवं वंचित समाज कभी भी भुला नहीं पायेगा इस आदेश के पीछे छुपी हुयी मंशा स्पष्ट है कि हम बहुजन समाज पार्टी की मुखिया के रूप में ऐसे समाज के लोगों से भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंकने की अपील न कर सकें।

यह सब बातें इससे और भी स्पष्ट हो जाती हैं कि भारत निर्वाचन आयोग को यह भली भाँति ज्ञात है कि उत्तर प्रदेश में जो दूसरे चरण की पोलिंग है वह 18 अप्रैल को है और उसके प्रचार का अंतिम समय 16 अप्रैल को 5 बजे खत्म होता है और हमारी आगरा की जनसभा जिसकी कि पूर्व में हीं लिखित अनुमति ली जा चुकी है, कल दिनांक 16 अप्रैल को आगरा में निर्धारित थी। इस आदेश का नतीजा यह है कि आगरा, फतेहपुर सीकरी एवं मथुरा के लोगों से जो कल हम अपनी आगरा में होने वाली रैली में बहुजन समाज पार्टी एवं गठबन्धन के प्रत्याशियों से सम्बन्धित वोट देनें की अपील करने वाले थे उसे न कर सकें। मैं इसलिये इस बात को जोर देकर कह रही हूँ क्योंकि अगर भारत निर्वाचन आयोग की कोई ऐसी मंशा नहीं थी तो कल जो कि दूसरे चरण के प्रचार का अन्तिम दिवस है तो उस दिन से इस आदेश को लागू न किया गया होता, बल्कि इसको एक दिन बाद से लागू किया गया होता।

जहाँ तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के सम्बन्ध में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया आदेष की बात है, उससे भारतीय जनता पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं, जैसे कि मैं हूँ। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अमित शाह एवं श्री नरेन्द्र मोदी को भारत निर्वाचन आयोग ने खुली छूट दे रखी है कि वह विभिन्न समुदायों में नफरत फैलाते रहे और इस देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करते रहें। पर अफसोस कि भारत निर्वाचन आयोग नें श्री नरेन्द्र मोदी एवं श्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य नेताओं द्वारा दिये गये भाषण को सुनकर उनके खिलाफ कार्यवाही करने की जगह इस मामले में अपने कान व आंख दोनों को बन्द कर लिया है।

भारत वर्ष एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ पर चुनाव में दिये गये भाषणों एवं सुनी हुयी बातों से यह आम जनता तय करती है और मन बनाती है कि किसको वोट देकर चुनना है, किसको बाहर का रास्ता दिखाना है, ऐसी स्थिति में इस तरह के आदेश को अचानक पारित किये जाने के कार्य को लोकतंत्र की हत्या नहीं कहा जायेगा तो और क्या कहा जायेगा।

परन्तु मुझे अपने समर्थकों एवं अनुयायियों पर पूर्णरूप से विश्वास एवं भरोसा भी है कि वह भारत निर्वाचन आयोग के इस आदेष के पीछे छुपे हुये उद्देश्य को जरूर समझेंगे और अब आने वाले हर चुनाव की तारीखों में पहले से भी ज्यादा जागरूकता के साथ एकतरफा बगैर डरे हुये या बगैर परेशान हुये अपना वोट निडर होकर बहुजन समाज पार्टी तथा गठबन्धन के सभी प्रत्याशियों को देकर भारतीय जनता पार्टी तथा अन्य विरोधी पार्टियों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराने का कार्य करेंगे और हमारी आवाज की जगह अब यह सब लोग मेरी आवाज स्वयं बनकर अपनी बात समाज के बीच में रखते हुये बहुजन समाज पार्टी और गठबन्धन के प्रत्याशी को जिताने की अपील करेेगे तथा यही सही मायनों भारत निर्वाचन आयोग के इस असंवैधानिक और गैर कानूनी आदेश का जवाब होगा। मैं कल आगरा में होने वाली रैली के सम्बन्ध में भी अपने सभी समर्थकों से यह अनुरोध करूंगी कि वह निश्चित समय से पहले ही रैली स्थल पर जरूर पहुँच जायें, जहां पर निर्वाचन आयोग के असंवैधानिक आदेश के कारण मैं तो उपस्थित नहीं रहूगी, लेकिन हमारी पार्टी की तरफ से पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा हमारे संदेश के रूप में भी आपके समक्ष जरूर रखी जायेंगी। और इसलिये सभी लोग कल की रैली में और भी ज्यादा संख्या में पहुँचकर अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करायें, जहाँ पर कि गठबन्धन के वरिष्ठ नेतागणों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव तथा राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चैधरी अजीत सिंह भी जरुर मौजूद रहेंगे और महागठबन्धन से सम्बन्धित अपनी महत्वपूर्ण बातें रखेंगे।

मीडिया बन्धुओं पूरा देश यह जानता है कि केन्द्र में बीजेपी व श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपने पूरे 5 वर्षों के कार्यकाल में हर मोर्चे पर बुरी तरह से विफल रही है जिसकी वजह से अब वर्तमान में देश में लोकसभा के लिए हो रहे आमचुनाव में इनको जनता को जवाब देना बहुत मुश्किल हो रहा है जिनसे जनता का ध्यान बांटने के लिए अब इस चुनाव में बीजेपी के सभी छोटे-बड़े नेता इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष व खुद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी खासकर पुलवामा में हुये आतंकी हमले मे जो हमारे जवान शहीद हुये हैं, एक तरफ इनको भुनाने में लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ लोगांे की धार्मिक भावनाओं को भड़काने का भी पूरा-पूरा प्रयास कर रहे हैं।

जबकि पूरा देश यह जानता है कि बीजेपी हर चुनाव में जनता की धार्मिक भावनाओं को भड़का के अपने पक्ष में हवा बनाने का पूरा-पूरा प्रयास करती है। जिसके तहत् ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहाँ उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी जनसभाओं में खासकर अली व बजरंग-बली की बात करके लोगांे को धर्म के आधार पर बांटने का पूरा-पूरा प्रयास किया है जिससे जनता थोड़ी गुमराह भी होने लगी थी। ऐसी स्थिति में खासकर कमजोर वर्गों के लोगांे को गुमराह होने से रोकने के लिए तथा चुनाव आचार संहिता का भी पूरा पालन करते हुये, फिर मुझे मजबूरी में अपनी एक चुनावी जनसभा में यह बताना पड़ा है जिसको आज मैं मीडिया के माध्यम से फिर से यहाँ दोहराना चाहती हूँ।

मैंने अपनी चुनावी जनसभा में यह कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जो दो धर्मो के बीच में अर्थात् अली व बजरंग-बली की आड़ में नफरत पैदा करके, इस चुनाव को जीतना चाहते हैं, तो इनके बहकावे में जनता को कतई भी नहीं आना है। जबकि इन दोनों के बारे में हमारा यह मानना है कि हमारे अली भी है और बजरंग बली भी है अर्थात् हमारे ये दोनों अपने ही हैं और इन दोनों में से हमारे लिए कोई भी गैर नहीं है इसलिए हमे अली भी चाहिये और बजरंग बली भी चाहिये, और खासकर हमें बजरंग बली इसलिए भी चाहिये क्योंकि यह मेरी अपनी खुद की दलित जाति से ही जुड़े है और इनकी जाति की खोज मैंने नहीं की है बल्किी खुद उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी ने ही की है। और इन्होंने ही खुद जनता को यह बताया है कि बजरंग बली बनवासी व दलित जाति के ही हैं और इसके लिए वैसे मैं इनकी बहुत-बहुत आभारी भी हूँ कि इन्होंने हमारे वंशज के बारे में हमें यह खास जानकारी भी दी है।

ऐसी स्थिति में हमारे लिए खुशी (अच्छी) की बात यह है कि अब हमारे साथ अली भी हैं। और बजरंग बली भी हैं और इनके साथ-साथ यहाँ दुःखी व पीड़ित, अन्य पिछड़े वर्ग एवं अपरकास्ट समाज के लोग भी हैं जिनके गठजोड़ से अर्थात सर्वसमाज के गठजोड़ से हमें इस चुनाव में काफी अच्छा रिजल्ट भी मिलने वाला है और अब मेरा पुनः यही कहना है कि वर्तमान में देश में लोकसभा के लिए हो रहे आमचुनाव में यहाँ उत्तर प्रदेश में भी योगी को ना अली का और ना ही मेरी जाति से जुडे बजरंग बली का तथा ना ही यहाँ दुःखी व पीड़ित अन्य पिछड़े वर्ग एवं अपरकास्ट समाज का ही वोट मिलेगा और वैसे भी उत्तर प्रदेश में यहाँ बजरंग बली की जाति से जुड़े हमारे दलित वर्ग के लोग इनको बहुत पहले ही छोड़ चुके हैं और अच्छी बात यह है कि अब हमें इनके साथ-साथ यहाँ, इस चुनाव में अन्य सभी वर्गों व सभी धर्मों का भी वोट मिल रहा है जिनसे हमारी पार्टी धर्म व जाति के नाम पर, कभी भी वोट नहीं मांगती है बल्कि उनके विकास व उत्थान के नाम पर ही केवल उनसे वोट मांगती है।

अर्थात् हमारी पार्टी बीजेपी की तरह, कभी भी धर्म व जाति के नाम पर घिनौनी राजनीति नहीं करती है जैसाकि हर चुनाव में बीजेपी के लोग करते हैं और अभी भी कर रहे हैं जिसकी खास वजय से ही आज मुझे फिर से मजबूरी में यहाँ अली व बजरंग बली के प्रकरण को लेकर मीडिया में यह सब कुछ कहना पड़ा है। ताकि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के मतदाता इनके इस हथकण्डे के बहकावे में बिल्कुल भी ना आये। लेकिन मेरी कही गई इस बात से मुझे यह नहीं लगता है कि मैंने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है।

इसके साथ ही देवबन्द की रैली में भी मैंने दो अलग-अलग धर्मों के लोगों से वोट बांटने की अपील नहीं थी बल्कि एक ही धर्म के अर्थात् मुस्लिम समाज के ही दो उम्मीद्वारों में से एक उम्मीद्वार के लिए ही वोट देने की सलाह दी गई थी ताकि इनका वोट ना बंट सके और फिर बीजेपी के उम्मीद्वार को आसानी से हराया जा सके। इसलिए यह दो धर्मो के बीच में नफरत फैलाने की बात में कतई भी नहीं आता है और ना ही यह चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन करने के दायरे में ही आता है।

इसी प्रकार यदि एक जाति के दो अलग-अलग पार्टियों से उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं। और उन्हें खासकर बीजेपी के उम्मीदवार को हराने के लिए यह कहा जाता है कि आप लोग अपना वोट नहीं बांटेंगे बल्कि उस उम्मीदवार को एकतरफा अपना वोट देंगे जो बीजेपी के उम्मीदवार को चुनाव हराने में सक्षम है इसलिए यह भी जाति के आधार पर वोट मांगने के अन्तर्गत नहीं आता है और ना ही इससे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होता है अर्थात् इस मामले में चुनाव आचार संहिता उल्लंघन तब माना जायेगा, जब दो उम्मीदवार अलग- अलग जाति के हैं जबकि सही मायने पूरे देश में चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बीजेपी के सभी छोटे-बड़े नेता इनका राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा खुद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ही कर रहे हैं और खासकर श्री मोदी को तो मुख्य चुनाव आयोग ने एक बार नहीं बल्कि कई बार यह कहा है कि इनको अपनी चुनावी जनसभा में सेना का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करना और ना ही अन्य किसी और पार्टी को भी करना है। लेकिन फिर भी लगातार श्री नरेन्द्र मोदी अपने राजनैतिक लाभ के लिए, किसी ना किसी रूप में, अपनी चुनावी जनसभाओं में सेना का अभी तक भी लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं जिस पर मुख्य चुनाव आयोग की नजर नहीं जाती है जबकि इस मामले में इनकी भी चुनावी जनसभाओं में आचार संहिता का उल्लंघन करने पर इनको रोक लगानी चाहिये थी और शायद इसी को ही लेकर यह मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी गया है।

लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए व अपने बचाव में कल से 48 घन्टे के लिए मेरी चुनावी जनसभाओं को करने पर तो मुख्य चुनाव आयोग ने तो रोक लगा दी है और दिखाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर भी कुछ घन्टों की रोक लगा दी है। लेकिन इस मामले में जो असली अपराधी है उसके विरुद्ध अर्थात् प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अभी तक भी मुख्य चुनाव आयोग की इनको नोटिस जारी करने की हिम्मत नहीं हो पा रही है। इससे मुख्य चुनाव आयोग की दलित विरोधी मानसिकता साफ नजर आती है अर्थात् श्री नरेन्द्र मोदी व योगी एण्ड कम्पनी के लोग कुछ भी बोल दे तो वह जल्दी से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता है। लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट में इनकी अपनी कमियों को छिपाने के लिए जबरन आज मुझे बलि का बकरा बनाया गया है।

ऐसी स्थिति में, जो मुझे कल आगरा की संयुक्त चुनावी जनसभा को सम्बोधित करने के लिए जाना था वहाँ मैं कल मुख्य चुनाव आयोग की दलित विरोधी मानसिकता होने की वजय से नहीं जा पा रही हूँ लेकिन कल यह संयुक्त रैली आगरा में जरूर होगी, जिसमें गठबन्धन के हमारे प्रमुख सहयोगी अर्थात् सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव व आर.एल.डी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष चैधरी अजीत सिंह जी तथा बी.एस.पी. की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद यहाँ अपने गठबन्धन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए मतदाताओं से अपील करेंगे और साथ ही, इस मौके पर श्री आकाश आनन्द भी, मेरे ना जाने की स्थिती में पार्टी के लोगों से केवल हाथ जोड़कर, अपने उम्मीदवारों को जिताने की ही अपील करेंगे और ये सभी हमारे गठबन्धन के नेता भी मेरी ओर से वोट देने की भी यहाँ कि जनता से पुरजोर अपील करेंगे। लेकिन फिर भी आज मैं मीडिया के माध्यम से आगरा लोकसभा की रिजर्व सीट के व फतेहपुर लोकसभा की सामान्य सीट के भी लोगों से यह अपील करती हूँ कि वे चुनाव आयोग के आज लिये गये फैसले से, मेरे कल आगरा में ना पहुँचने की स्थिति में बिल्कुल भी निराश व उदास नहीं होंगे और इसकी ब्याज सहित पूरी भरपाई मैं आगे चलकर जरुर कर दूँगी। यदि हमें केन्द्र में अपनी सरकार बनाने का मौका मिल जाता है। और इसके लिए आज मैं एडवान्स में ही आगरा व फतेहपुर लोकसभा की सीट के लोगों से यह कहना चाहती हूँ कि केन्द्र में हमारी सरकार बनने पर, फिर मैं सबसे पहले, आगरा व फतेहपुर लोकसभा की सीट के लोगों को यहाँ आगरा पहुँचकर खुद इस बात के लिए आभार प्रकट करने के लिए आऊँगी कि इन्होंने चुनाव आयोग के जातिवादी रवैये का मुकाबला करके फिर भी यहाँ अपनी इन दोनों सीटों को जिताया है। अर्थात् सरकार बनने की स्थिति में फिर सबसे पहले मुझसे मिलने का सौभाग्य यहाँ आगरा व फतेहपुर लोकसभा की सीट के लोगों को ही मिलेगा और अब मेरा यही कहना है कि इन दोनों सीटों के क्षेत्र के लोगों को बी.एस.पी. के उम्मीदवार को हाथी चुनाव चिन्ह के सामने वाले बटने को दबावे इनको जरूर कामयाब बनाना है।

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