लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी को नसीहत दी है। पार्टी की ओर से जारी एक प्रेस कांफ्रेंस में बसपा प्रमुख के हवाले से कहा गया है कि भाजपा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही आम चुनाव भी कराना चाहते हैं। इसलिए भाजपा को कम से कम अब तो जनहित के प्रति ईमानदार होकर अपनी कथनी और करनी में सत्यता लाकर जनहिताय का पाठ पढ़ लेना चाहिये.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से 15 अगस्त को दिये गए सम्बोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती ने कहा कि देश की आमजनता वर्षों से भाजपा सरकार की कथनी और करनी में ज़मीन-आसमान के अन्तर की त्रासदी से पीड़ित रही है और अब यह इस अभिशाप से हर हाल में मुक्ति चाहती है. परन्तु मोदी सरकार तो इस मामले में हमें नया कीर्तिमान स्थापित करती हुई लगती है जिससे लोगों में निराशा फैलती जा रही है.
इसके अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बेंगलुरू में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान गोरखपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में घोर सरकारी लापरवाही व उदासीनता के कारण अब तक लगभग 90 से अधिक हुई मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत पर यह कहना कि ’इतने बड़े देश में इस प्रकार की घटनायें होती रहती है.’ इनका यह स्तब्ध कर देने वाला बड़ा ही गै़र-ज़िम्मेदाराना बयान है. वास्तव में भाजपा जैसी सत्ता के नशे में चूर और अहंकारी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही ऐसा असंवेदनशील व अमानवीय बयान देने की हिम्मत कर सकता है.
मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार के दावे अनोखे व निराले हैं क्योंकि ये सभी जमीनी हकीकत से काफी दूर हैं. भाजपा सरकार अपने चौथे वर्ष में भी देश के करोड़ों ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं व अन्य मेहनतकश लोगों का कुछ भी ऐसा भला नहीं कर पायी है जिससे उनके जीवन में थोड़ा भी सुख व समृद्धि आयी हो. इसके विपरीत भाजपा सरकार की जातिवादी, द्वेषपूर्ण, संकीर्ण व साम्प्रदायिक नीतियों व कार्यकलापों से देश की दिशा व दशा दोनों सुधरने के बजाय बिगडत़ी ही चली जा रही है.
देश की आमजनता बड़े पैमाने पर व्याप्त सरकारी भ्रष्टाचार से पहले से ज्यादा पीड़ित दिखाई पड़ती है. जबकि अपने भ्रष्ट मंत्रियों आदि के खिलाफ सख़्त कार्रवाई करने से भाजपा सरकारें घबराती हुई नजर आ रही है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा व गुजरात आदि भाजपा शासित राज्य इसके खास उदाहरण हैं. वैसे भी केन्द्र सरकार ने ’लोकायुक्त’ का गठन पिछले लगभग सवा तीन वर्षों में नहीं किया हैं, इसलिये मोदी सरकार द्वारा सरकारी भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा कितना ज़्यादा खोखला है, यह देश की आमजनता अच्छी तरह से समझ रही है.

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