बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के अपमान की बात कह कर चीख रहा यह शख्स एक अम्बेडकरवादी है, जो यह मानता है कि भारत के निर्माण में संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर का योगदान किसी अन्य से कम नहीं है. यह वीडियो गुजरात के वडोदरा की है, जहां 23 सितंबर को बहुजन समाज पार्टी द्वारा संकल्प दिवस के सौ साल पूरा होने के मौके पर विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया है.
असल में सारी दिक्कत यहीं से शुरू होती है. वडोदरा में संकल्प दिवस के दिन देश भर के अम्बेडकरवादियों का जमावड़ा लगता है. देश-विदेश के अम्बेडकरवादी यहां आकर सियाजी पार्क की उस धरती को नमन करते हैं, जहां बाबासाहेब ने उत्पीड़ित और उपेक्षित वर्ग को हजारों साल की गुलामी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था. बाबासाहेब ने यह संकल्प 23 सितंबर 1917 को लिया था. 23 सितंबर 2017 को इस सम्यक संकल्प के 100 साल पूरे हो रहे हैं.
बाबासाहेब को अपना आदर्श मानकर राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी इस शताब्दी वर्ष पर वडोदरा में एक बड़ा कार्यक्रम कर रही है. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हैं. इस मौके पर मायावती वडोदरा के नौलखी ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करेंगी और फिर सियाजी पार्क जाकर बाबासाहेब को श्रद्धांजली देंगी.
बसपा के इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा बौखला गई है. कार्यक्रम को लेकर शहर भर में पोस्टर और होर्डिंग्स लगे थे, जिसे उतार कर फेंक दिया गया. बहुजन समाज पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं और अन्य अम्बेडकरवादियों में इसको लेकर काफी रोष है.
इस बारे में बसपा के गुजरात प्रभारी रामअचल राजभर कहते हैं- “बाबासाहेब के द्वारा दलितों, पीड़ितों और वंचित समाज के कल्याण के लिए वड़ोदरा में 1917 में संकल्प लिया गया था, उसी के 100 साल हो रहे हैं. बसपा के गुजरात इकाई की ओर से शताब्दी वर्ष का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस समारोह में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश बहन कुमारी मायावती जी हैं.
भाजपा बसपा के इस कार्यक्रम से बौखला गई है और ओछी राजनीति पर उतर गई है. इस कार्यक्रम के लिए बसपा के बैनर और पोस्टर लगे हैं. हमने प्रशासन से कार्यक्रम की इजाजत भी ली है. बावजूद इसके हमारे बैनर और पोस्टर को हटाया जा रहा है. भाजपा बसपा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से डर गई है, मोदी नहीं चाहते कि बहनजी गुजरात आएं. वो बहन कुमारी मायावती के इस कार्यक्रम से डर गए हैं और दिल्ली में बैठकर गुजरात सरकार को निर्देश दे रहे हैं.
गुजरात में बहुजन समाज की एकजुटता से मोदी जी और भाजपा इतना डर गए हैं कि गुजरात में रोड शो करने आ गए.”
राम अचल राजभर
प्रभारी, बसपा गुजरात इकाई
असल में बसपा की रैलियों में जुटने वाली भीड़ रिकार्डतोड़ होती है. संकल्प दिवस के मौके पर वैसे ही देश भर के लोग वडोदरा में रहेंगे. कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती का संबोधन देश भर में एक बड़ा मैसेज दे जाएगा. भाजपा की परेशानी यही है. भाजपा इस कार्यक्रम को विफल बनाने में जुट गई है. यही वजह है कि शहर में लगे होर्डिंग्स को हटाकर वह बसपा कार्यकर्ताओं का उत्साह तोड़ने में जुटी है.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।