नई दिल्ली। यूपी में हो रहे निकाय चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती इस बार कुछ नया करने को सोचा हैं. मायावती इस बार सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्म्युले को अपनाने की तैयारी में जुटी हुई हैं. दरअसल पार्टी के पदाधिकारियों ने फैसला किया है कि इस बार निकाय चुनाव में सामान्य सीट पर सामान्य वर्ग का ही उम्मीदवार उतारा जाएगा. जब कोई सामान्य वर्ग का उम्मीदवार नहीं मिलेगा तो उसी सूरत में दलित या ओबीसी प्रत्याशी पर विचार किया जाएगा.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में संघर्ष के बाद बसपा पहली बार आधिकारिक रूप से निकाय चुनाव में उतर रही है. इससे कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह भी देखने को मिल रहा है. उत्साह का आलम ये है कि पार्षद की एक सीट के लिए 6-6 लोगों ने आवेदन कर रखा है. यहां तक की सामान्य वर्ग की सीट के लिए भी दलित और ओबीसी उम्मीदवारों के आवेदन आए हैं.
वैसे बसपा ने पहली बार पार्टी सिंबल के जरिए इस निकाय चुनाव को लड़ने का फैसला किया है. पार्टी के इस फैसले से जाहिर है कि मायावती अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि सोशल इंजीनियरिंग के जिस फर्मूले के तहत वो जीत की मिठाई खाना चाह रही हैं. क्या पता वही फर्मूला शायद 2019 में भी बसपा का मुंह मीठा करने के काम आ जाए.
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