लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने अपने पूर्व नेता और विधान परिषद सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी को लेकर उत्तर प्रदेश विधान परिषद अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्यता से दिनांक 27 मई, 2017 से अयोग्य घोषित कर दिया जाए और सदस्य के रूप में मिल रही किसी भी सुविधा और भत्ता को बंद कर दिया जाए. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह सूचना दी.
सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विरुद्ध बसपा के विधान परिषद नेता सुनील कुमार चित्तौड़ द्वारा विधान परिषद अध्यक्ष के समक्ष दल बदल कानून के तहत एक याचिका दी है. यह याचिका उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियमावली, 1987 सपठित संविधान की दसवीं अनुसूची एवं अनुच्छेद 191(2), विपक्षी द्वारा स्वेच्छा से अपने मूल राजनैतिक दल की सदस्यता त्याग करने के संबंध में नियम-7 के अन्तर्गत दायर की गई है.
बहुजन समाज पार्टी कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बहुजन समाज पार्टी की ओर से विधान परिषद के सदस्य के रूप में दिनांक 23 जनवरी, 2015 को निर्वाचित हुए थे. बहुजन समाज पार्टी उनका मूल राजनीतिक दल है. उन्होंने 27 मई 2017 को राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा नाम से अपना एक पृथक राजनीतिक दल बना लिया है.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी का यह आचरण विधिक एवं संवैधानिक रूप से मूल राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ने की बात सिद्ध करता है. उनका यह कृत्य संविधान की दसवीं अनुसूची के विपरीत है अतः याचिका में प्रार्थना की गई है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को संविधान की 10वीं अनुसूची सपठित 191(2) के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्यता से दिनांक 27 मई, 2017 से अयोग्य माना जाए.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार मिलने के करीब दो महीने बाद बसपा ने बड़े नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से बाहर कर दिया था. बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे और उनके बेटे को बाहर करने का फैसला लिया था. इन दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा था.
इस खबर का संपादन नागमणि कुमार शर्मा ने किया है.
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