बैन खत्म होते ही मायावती ने चुनाव आयोग के खिलाफ खोला मोर्चा

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नई दिल्ली। चुनाव प्रचार पर बैन के 48 घंटे पूरे होने के बाद बसपा प्रमुख  मायावती ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया है. बसपा प्रमुख ने ट्वीट कर आयोग पर निशाना साधा है और सवाल खड़ा किया है। मायावती ने बैन की अवधि पूरा होते ही ट्विट कर पूछा कि “यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बैन के बाद मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और चुनावी लाभ ले रहे हैं. उन पर आयोग इतना मेहरबान क्यों है?”

मायावती ने आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा, चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करके यूपी के सीएम योगी शहर-शहर व मन्दिरों में जाकर एवं दलित के घर बाहर का खाना खाने आदि का ड्रामा करके तथा उसको मीडिया में प्रचारित/प्रसारित करवाके चुनावी लाभ लेने का गलत प्रयास लगातार कर रहे हैं किन्तु आयोग उनके प्रति मेहरबान है, क्यों?

बसपा प्रमुख ने सवाल उठाया कि-अगर ऐसा ही भेदभाव व बीजेपी नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है. इन मामलों मे जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा? बीजेपी नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अबतक करता आया है?’

आज दूसरे चरण के लिए देश भर के 95 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें यूपी की 8 और बिहार की पांच लोकसभा सीटें शामिल है। ऐसे मौके पर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि आज दूसरे चरण का मतदान है और बीजेपी व पीएम मोदी उसी प्रकार से नर्वस व घबराए लगते हैं जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में हार के डर से कांग्रेस व्यथित व व्याकुल थी. इसकी असली वजह सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों के साथ-साथ इनकी दलित, पिछड़ा व मुस्लिम विरोधी संकीर्ण सोच व कर्म है.

दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद में रैली में मायावती के मुसलमान वोटरों से वोट की अपील पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने मायावती के प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक लगाई थी. ये बैन मंगलवार सुबह 6 बजे शुरू हुआ और 18 अप्रैल सुबह 6 बजे तक चला. इन 48 घंटे में मायावती कोई चुनावी सभा, रोड शो या राजनीतिक ट्वीट नहीं कर सकती थीं. गुरुवार को जैसे ही बैन की अवधि खत्म हुई बसपा प्रमुख ने आय़ोग के साथ ही भाजपा पर भी निशाना साधा. बैन हटने के बाद बहनजी आज 18 अप्रैल को उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज जिले में बसपा प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं. हालांकि मायावती ने जो आरोप लगाया है, वह चुनाव आय़ोग पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

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