बुद्ध की मूर्ति के आगे कभी कुछ मांगना मत, कुछ नहीं मिलेगा। ना पूजा करना, ना प्रार्थना। ना हाथ फैलाना, न झोली। कोई दया की भीख मांगे या सुख का आशीर्वाद, कुछ हासिल नहीं होगा। क्योंकि बुद्ध पुरुष हमें कुछ देते नहीं हैं। बुद्ध तो मनुष्य के भीतर सोए हुए चित्त को जगाते हैं, जो छिपा हुआ है उसे जागृत करते हैं। मनुष्य को उसकी अपार क्षमता का एहसास कराते हुए सभी को बुद्ध बनने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि हर व्यक्ति बुद्ध बनें और अपनी सुख शांति के लिए किसी के आगे दया की भीख नहीं मांगे। रास्ता लंबा है लेकिन चलना तो हमें ही पड़ेगा।
बुद्ध पुरुष न धन देते हैं न पद, न मान देते हैं न प्रतिष्ठा। इसलिए कभी गौतम बुद्ध की प्रतिमा के आगे प्रार्थना मत करना। उनकी प्रशंसा के मंत्र पढ़कर खुशामदी करने व फुसलाने की कोशिश बेकार जाएगी। धूपबत्ती, माला चढ़ाकर खुश करने या चापलूसी करने की कोशिश करेंगे तो सब व्यर्थ होगा, क्योंकि गौतम बुद्ध अब इस दुनिया में नहीं हैं। तो कोई लाख कोशिश करें कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
अब तो सिर्फ उनका बताया हुआ सत्य का मार्ग हैं, मानव कल्याण का धम्म है। चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग हैं। शील, समाधि और प्रज्ञा का मार्ग है। इसलिए आज कहीं कोई व्यक्ति बुद्ध की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाएं, बुद्ध को गाली देवे तो गुस्सा मत करना, क्योंकि बुद्ध न बुद्ध विहारों में है, न शास्त्रों में है, न मूर्तियों में।
बुद्ध से मिलना हो तो उनके मार्ग पर चलना पड़ेगा। बुद्ध तो व्यक्ति के आचरण में हैं, शीलों के पालन में झलकते है। बुद्ध के दर्शन तो ध्यान साधना द्वारा भीतर झांककर मन को निर्मल करने से होते हैं। बाहर भटकने से कुछ नहीं मिलेगा। हां! यदि ज्ञान, ध्यान और शील, समाधि व प्रज्ञा के मार्ग पर चलते हुए बुद्ध का रास्ता आनंद व सुखमय लगे, मानव कल्याण का लगे तो बुद्ध के प्रति श्रद्धा के साथ वंदन जरूर करना। कृतज्ञता जरूर प्रकट करना, कि हे! गौतम बुद्ध आप इस धरती पर आए और संपूर्ण मानव जगत का कल्याण कर गए।
प्रस्तुति: डॉ. एम. एल. परिहार, जयपुर

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