Wednesday, January 15, 2025
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कुश्ती में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले इस ओलंपियन से मिलिए

आज ओलंपिक में जब मूलनिवासी समाज की दीपा कर्माकर ने भारत के लिए एक उम्मीद जगा दी है, तो ऐसे में महान ओलंपिक खिलाड़ी ‘खाशाबा दादासाहेब जाधव उर्फ के.डी.जाधव’ का जिक्र करना भी जरूरी है. इस महान ओलंपिनय ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक के बैंटमवेट वर्ग कुश्ती में कांस्य जीत कर विश्व फलक पर भारत को इज्जत दिलाई थी. भारत के लिये ओलंपिक की व्यक्तिगत खेल स्पर्धा में यह पहला पदक था. लेकिन एक दूसरी सच्चाई यह भी है कि ओलंपिक जैसे मंच पर भारत की नाक ऊंची करने वाले इस खिलाड़ी को भारत का पद्म सम्मान भी नसीब नहीं हुआ.

महाराष्ट्र में जन्में के. डी. जाधव को हेलसिंकी ओलंपिक के लिए टीम चयन के दौरान साजिश का सामना करना पड़ा था. हालांकि तमाम मशक्कत के बाद आखिरकार अपनी प्रतिभा साबित कर उन्होंने ओलंपिक में अपनी जगह बना ली थी. तब जाधव के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. उन्होंने सरकार से सहायता मांगी, लेकिन जाधव की आर्थिक मदद की मांग को तात्कालीन सरकारों ने अनसुना कर दिया था. तब उन्होंने गांव में चंदा मांगकर, अपनी सम्पति और घर गिरवी रखकर ओलंपिक जाने के लिये धन जुटाया था. वापस आने पर के. डी ने कई कुश्ती प्रतियोगिताओं को जीतकर लोगों का पैसा वापस कर एहसान चुकाया था. गरीबी एवं संघर्ष के बावजूद खुद्दारी में जीवन जीते हुये के. डी. जाधव की मौत 1984 में सड़क दुर्घटना में हो गई. महज आश्चर्य ही नहीं बल्कि शर्म की बात है कि ओलंपिक पदक के 50वें साल और उनकी मृत्यु के 15वें साल में 2001 में जाकर उन्हें अर्जुन सम्मान मिल सका. इस बीच एक तथ्य यह भी है कि जाधव अकेले ऐसे ओलंपिक पदक विजेता हैं जिनको कोई पद्म सम्मान नहीं दिया गया.

एक गरीब परिवार औऱ तमाम संघर्ष से निकलकर दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले एक गैरद्विज खिलाड़ी की उपेक्षा का यह मामला साधारण नहीं है, बल्कि गंभीर पक्षपात एवं सामाजिक पूर्वाग्रह का मामला भी दिखता है. हालांकि एक तथ्य यह भी है कि ओलंपिक में ज्यादातर बार मूलनिवासी (दलित-आदिवासी-पिछड़े) समाज के प्रतिभाओं ने ही देश का मान रखा है. चाहे वो हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद्र हों, मुक्केबाज मैरीकॉम हो, निशानेबाज दीपीका कुमारी हो या फिर अब दीपा कर्माकर. ‘ध्यानचंद’ के साथ ‘के.डी. जाधव’ को भारत रत्न से सम्मानित कर भारत के माथे पर लगे इस पक्षपात और पूर्वाग्रह के कलंक को धोने का काम वर्तमान या भविष्य की कोई भारत सरकार कब करती है इसका इंतजार रहेगा. स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले ही 14 अगस्त को के.डी. जाधव की पुण्यतिथि होती है. इस महान ओलंपियन और देश का मान बढ़ाने वाले प्रेरणा पुरुष को नमन.

(जन्म: 15 जनवरी, 1926- मृत्यु: 14 अगस्त, 1984)

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