20 जुलाई को जब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव आया था और राहुल गांधी का पीएम मोदी को झप्पी देना खबरों की सुर्खियां थी, एक नेता ने सदन में सबका खूब मनोजरंजन किया. वो नेता आरपीआई के रामदास अठावले थे. अठावले सदन में मोदी चालीसा पढ़ रहे हैं, और सदन में बैठे बाकी लोग कैसे हंस रहे हैं. दरअसल ये लोग अठावले की चालीसा पर नहीं बल्कि उन्हीं पर हंस रहे हैं.
रामदास अठावले का ताल्लुक महाराष्ट्र से है. एक वक्त में वो दलित पैंथर से जुड़े रहे, फिर अपनी पार्टी बनाई. वह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी. अठावले लोकसभा के सांसद भी रहे हैं. अठावले की खासियत यह है कि वह सत्ता और सदन में बने रहने के लिए छटपटाते रहते हैं. अपनी इस चाहत को किसी भी शर्त पर पूरा करने को अमादा अठावले इसके लिए कभी कांग्रेस के पाले में जाते हैं तो कभी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के.
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में अठावले लोकसभा में नहीं पहुंच सके. इस बीच उनके लिए सत्ता से दूर रहना मुश्किल हो गया, सो उन्होंने राज्यसभा जाने का तरीका ढूंढ़ निकाला. 2014 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में दलित वोटों को अपने पाले लाने के लिए भाजपा को एक दलित चेहरे की जरूरत थी. भाजपा के पास प्रदेश में कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं था. फिर क्या था, अठावले की लॉटरी लग गई.
भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया. भाजपा और मोदी जी की कृपा से अठावले राज्यसभा के सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं. इस दौरान उनका एकमात्र काम हर बात पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती पर सवाल उठाना भर है. जाहिर है उन्हें यही काम सौंपा गया होगा. जाहिर है वो पीएम मोदी का चालीसा गाएंगे ही.
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विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।